उत्तराखंड

इन सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों को मिला नोटिस, जानिए क्यों

देहरादून। उत्तराखंड सरकार प्रदेश के स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन और अनुशासन के भले ही लाख दावे करे लेकिन टीचरों का रवैया कुछ और ही कहानी कहता है। देहरादून के स्कूलों में इन दिनों जब शिक्षा विभाग के अधिकारी अचानक चेकिंग के लिए पहुंच रहे हैं तो खामियों की भरमार मिल रही हैं। किसी स्कूल में छात्रों की संख्या व टीचरों की उपस्थिति को लेकर तो किसी में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर नियमों की अवहेलना पाई गई तो कहीं शासन के निर्देशों की अवमानना। सहसपुर, सेलाकुई के सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस थमाया गया है। इन प्राचार्यों से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।

हुआ ये कि मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल कुमार सतीश जब ज़िले के विभिन्न सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे तो राजकीय इंटर कॉलेज के प्राचार्य ही स्कूल से नदारद मिले। जनपद देहरादून के 3 सरकारी स्कूलों में अव्यवस्थाएं भी मिलीं, तो कारण बताओ नोटिस दिया गया। जिन सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस दिया गया, उनमें सहसपुर और सेलाकुई के स्कूल हैं। प्राचार्यों दुर्गेश नंदिनी बहुगुणा, उषा चौधरी और संजय जैन से 3 दिन में जवाब मांगा गया है।

न क्लासेस न सोशल डिस्टेंसिंग!
जिस समय मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ। सतीश इन स्कूलों में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे, उस दौरान एक तरफ इन स्कूलों के प्राचार्य ही गायब थे, तो दूसरी तरफ न ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था थी और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था। इन तमाम स्थितियों पर नाराज़गी जताते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्यों को फटकार भी लगाई।

सेलाकुई के प्राचार्य को दिया गया नोटिस।

प्राइवेट स्कूलों की भी शिकायतें मिल रही थीं इसलिए देहरादून के ग्रेस अकेडमी के प्रचार्य को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया। दरअसल स्कूल प्रबंधन की ओर से एक छात्र को इसलिए ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया गया क्योंकि छात्र के अभिभावक फीस देने में असमर्थ थे, जबकि शिक्षा निदेशालय ने पहले ही नोटिफिकेशन जारी किया था कि किसी छात्र को फीस न दे पाने के कारण ऑनलाइन क्लास या स्कूल से निकाला नहीं जा सकता। इस मामले में स्कूल के प्राचार्य को एक हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है।

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