Home ब्लॉग किस्से-कहानी और लोककथाओं में शैक्षिक संभावनाएं

किस्से-कहानी और लोककथाओं में शैक्षिक संभावनाएं

-महेष पुनेठा
हर व्यक्ति की तरह हर क्षेत्र का भी अपना एक व्यक्तित्व होता है,एक मनोविज्ञान होता है,जिससे उसे पहचाना जाता है। इसका पता चलता है वहां सुने-सुनाए जाने वाले किस्से-कहानी और लोककथाओं से। इनका संसार बहुत बड़ा होता है। यदि आप बारीक नजर से देखेंगे तो पाएंगे कि किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़, पत्थर, धारे-नौले, नदी, खेत, इमारत, जंगल,पषु-पक्षी,पकवान, पहनावे,गायक-वादक,रसोइए,पंडित-मौलवी, विभिन्न पेषों से जुड़े छोटे-बड़े काम करने वाले आदि से जुड़े अनेकानेक किस्से बिखरे पड़े हैं। इनमें जीवन का हर रस मिलता है।

ये हमारे इतिहास-भूगोल,मनोविज्ञान,लोक-विज्ञान,समाज-संस्कृति, स्मृति,आस्था-विष्वास,मान्यताओं और मूल्यों को अपने में समेटे होती हैं। लोकजीवन तो जैसे इनमें धड़कता हुआ मिलता हैं। बड़े-बुजुर्ग बात-बात में इन्हें सुनाते रहते हैं। ऐसा नहीं कि ये किस्से किसी एक विषेश कालखंड में ही बने हों या बहुत प्राचीन हों,ये नित-नए बनते और जुड़ते रहते हैं। बस इन्हें कथारस में डुबोकर सुनाने वाले चाहिए। ऐसे लोग भी परंपरा में ही तैयार होते हैं। कथा-किस्से सुनाने वालों की संगत उन्हें तैयार करती है। हर क्षेत्र में ऐसे कुछ लोग भी मिल ही जाते हैं, जो स्वाभाविक रूप से किस्सागो होते हैं।

किस्से-कहानी और लोककथाएं, जिस रूप में सुनायी जाती हैं, उनमें परिवर्तन की बहुत अधिक गुंजाइष होती है। उनमें बहुत कुछ जोड़ा और घटाया जा सकता है। हम उसमें अपने देषकाल-परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तन कर सकते हैं और बच्चों को भी सृजन के लिये प्रेरित कर सकते हैं। इन्हें आज के परिप्रेक्ष्य में नया रूप दे सकते हैं। कुछ उसी तरह से जैसे इधर दास्तानगोई में हो रहा है,जो इन दिनों काफी लोकप्रिय होती जा रही है। बताते चलूं कि दास्तानगोई बहुत पुरानी विधा है। मध्यकाल में खूब सुनी-सुनाई जाती थी। लेकिन बाद में यह एक तरह से लुप्तप्राय-सी हो गई। 21 वीं सदी की षुरूआत में षम्षुल रहमान फारूकी,मुहमूद फारूकी ने इसे पुनर्जीवित किया और अंकित चढ्ढा, हिमांषु वाजपेयी जैसे प्रतिभाषाली युवाओं ने आगे बढ़ाया। इस विधा पर कुछ महत्वपूर्ण किताबें भी आई हैं।

चर्चित किस्सागो हिंमाषु वाजपेयी ने तो लखनऊ के किस्सों पर एक किताब-‘किस्सा-किस्सा लखनउवा’ ही लिख डाली, जो काफी पढ़ी और पसंद की जा रही है। किस्से-कहानी और लोककथाओं के बेहतरीन प्रयोग और उनकी संभावनाओं के सही इस्तेमाल के उदाहरण के रूप में विजयदान देथा का भी जिक्र करना चाहूंगा। वह हिंदी और राजस्थानी के सषक्त साहित्यकार माने जाते हैं। उन्होंने दोनों भाशाओं में बराबर लिखा। उनका लोककथाओं पर महत्वपूर्ण कार्य है। दुनिया में किसी अन्य साहित्यकार ने लोककथाओं को लेकर ऐसे प्रयोग किए हांे, मेरी जानकारी में नहीं है। लोककथाओं का संकलन अनेक साहित्यकारों ने किया है, लेकिन विजयदान देथा ने लोककथाओं को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने का अनूठा कार्य किया है। वह लोककथाओं से केवल उनका अभिप्राय लेते थे फिर अपनी तरह से पूरी कहानी को रचते थे। उन्होंने गांव-गांव और घर-घर जाकर लोककथाएं सुनी,इकट्ठी की और इन कथाओं को वर्तमान संदर्भों से जोड़ते हुए नए रूप में रचा। इन कथाओं की पूरी बुनावट नयी है।

सामान्यतः किस्से-कहानी और लोककथाओं को भाशा का टूल माना जाता है। इसके माध्यम से बच्चों में भाशायी दक्षता का बहुत रोचक और प्रभावषाली तरीके से विकास किया जा सकता है। इसका कारण किस्से-कहानी और लोककथाओं का सरल-सहज और मानवीय संवेदनाओं के सबसे निकट होना है। इनका न केवल कथ्य, बल्कि परिवेष और भाशा भी बच्चे के आसपास की होती है, जिसके चलते बच्चे उनसे एक अपनापन महसूस करते हैं।

यहां एक सवाल विचारणीय है कि क्या ये केवल भाशा का ही टूल है या अन्य विशयों में भी किस्से-कहानी और लोककथाओं का प्रयोग किया जा सकता है? मेरा मानना है कि विज्ञान,गणित या सामजिक विज्ञान जैसे विशयों में पाठ की षुरूआत किस्से-कहानी और लोककथाओं से की जा सकती है। जैसे ब्रह्मांड तथा उसके विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों,पिंडों की उत्पत्ति हो,ग्रहण हो या ऐसे ही अन्य टाॅपिक हों, इनसे संबंधित लोककथाएं बच्चों को सुनाई जा सकती हैं। इनके माध्यम से बच्चों का ध्यान विशयवस्तु की ओर खींचा जा सकता है। किसी कथा को सुनाने के बाद, धीरे-धीरे ज्ञान का विस्तार कैसे होता है, नया ज्ञान किस तरह सृजित और स्थापित होता है? आदि बिंदुओं पर बच्चों से बातचीत कर सकते हैं।

किस्से-कहानी और लोककथाओं में आए प्रसंगों की प्रमाणिकता पर प्रष्न-प्रतिप्रष्न करते हुए उनकी जांच-पड़ताल के लिए बच्चों को प्रेरित कर सकते हैं। इसी तरह से विभिन्न पशु-पक्षियों, वनस्पतियों के बारे में तथा उनके पैदा होने के संबंध में समाज में अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं। जैसे उत्तराखंड में प्यूंली के फूल से जुड़ी एक लोककथा है। दरअसल यह एक लड़की के संघर्श की कथा है। कहा जाता है कि वह लड़की मरने के बाद प्यूंली का फूल बन गयी। वैज्ञानिक दृश्टि से यह बात सत्य नहीं हो सकती है , लेकिन जब हम इस वनस्पति के बारे में बता रहे हों तो उस समय यह कथा सुनायी जा सकती है। कहानी सुनाने के बाद हम बता सकते हैं कि पुराने लोग किस तरह अपनी धारणा या मान्यताएं बनाते थे। समाज में प्रचलित मान्यताओं-विष्वासों-धारणाओं के बारे में लोककथाएं हमें बच्चे के साथ संवाद प्रारम्भ करने का एक अवसर प्रदान करती हैं। हम कह सकते हैं कि लोक ऐसा मानता है लेकिन जब विज्ञान ने सही कारणों को खोजना प्रारंभ किया तो फलस्वरूप ये-ये कारण निकल कर आए।

किस्से-कहानी और लोककथाओं में बहुत सारे अंधविष्वास और अलोकतांत्रिक बातें भी होती हैं, उनके प्रति षिक्षक को सजग रहना होगा, क्योंकि बच्चे लोककथाओं या कहानियों पर बहुत जल्दी विष्वास कर लेते हैं। अन्धविष्वास और अलोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा न मिले इसके लिए बच्चों को यह स्पश्ट बताना होगा कि ये विष्वास या मान्यताएं उस समय की हैं, जब मानव का ज्ञान बहुत सीमित था,उसके सामने बहुत छोटी दुनिया खुली थी और विज्ञान के क्षेत्र में व

RELATED ARTICLES

जल संकट- जीवन एवं कृषि खतरे में

 - ललित गर्ग मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन। जो मानव...

हादसों की खूनी सड़कों पर डरावनी रिपोर्ट

 -ललित गर्ग सड़क हादसों पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की डरावनी, चिन्ताजनक एवं  भयावह रिपोर्ट आई है। इसके मुताबिक, पिछले साल 4.61 लाख सड़क...

तबाही ला सकती हैं ग्लेशियर झीलें

विनोद कुमार पिछले साल सिक्किम में लहोनक ग्लेशियर झील फटने की घटना पुरानी नहीं है जिसमें 180 लोगों के मरने व पांच हजार करोड़ के...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

दोनों हाथों से विकलांग तानसेन ने हासिल किया ड्राइविंग लाइसेंस

नई दिल्ली। चेन्नई के 30 वर्षीय तानसेन दोनों हाथों से विकलांग है. तानसेन ने 10 साल की उम्र में एक विद्युत दुर्घटना में अपने...

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को सभी पदों से हटाया

नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अब बीएसपी के सभी पदों से हटा दिया है आकाश आनंद अब मायावाती...

आईपीएल 2024- सनराइजर्स हैदराबाद और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच मुकाबला आज 

हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में भिड़ेगी दोनों टीमे  हैदराबाद।  आईपीएल 2024 का रोमांच अपने चरम पर पहुंच चुका है। प्लेऑफ की लड़ाई...

प्रदेश को मिले 246 नये एमबीबीएस चिकित्सक

चुनाव आयोग की अनुमति के बाद सीएमओ को भेजी सूची स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को दिये निर्देश कहा, यात्रा मार्गों के स्वास्थ्य...

‘द फैमिली मैन’ सीजन 3 की शुरू हुई शूटिंग, श्रीकांत तिवारी बन फिर धूम मचाने को तैयार मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी की मोस्ट पॉपुलर सीरीज 'द फैमिली मैन' सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली सीरीज में से एक है। वहीं दूसरे सीजन के...

जंगल की आग – वन विभाग के 17 लापरवाह अधिकारियों व कार्मिकों के विरुद्ध होगी कार्रवाई

पिरूल लाओ-पैसे पाओ' मिशन को तेज करने पर बल सीएम ने वनाग्नि नियंत्रण की समीक्षा की देहरादून। जंगल की आग पर काबू करने में वन विभाग...

किसानों की आवाज को कुचलने में लगी है भाजपा सरकार – अखिलेश यादव 

आटा के साथ डाटा भी देंगे फ्री - अखिलेश यादव  कानपुर। अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के रमईपुर में जनसभा करने पहुंचे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश...

सेना की सहायता लेने के साथ ही अधिकारियों को भी ग्राउंड जीरो पर जाकर आग पर नियंत्रण पाने के दिए गए निर्देश

जंगल की आग हमारे लिए बड़ी चुनौती- सीएम धामी  राज्य में वनाग्नि की चुनौती को देखते हुए सीएम ने अपने सभी कार्यक्रम किए स्थगित देहरादून। मुख्यमंत्री...

पेट में जलन को शांत करने के लिए करें इन 5 खाद्य पदार्थों का सेवन

बढ़ते तापमान के बीच लोगों को पेट में जलन महसूस होने लगती है, जिसके कारण उलटी भी आ सकती हैं। अपच और एलर्जी इस...

बाबा केदार की पंचमुखी डोली फाटा से अपने तीसरे पड़ाव गौरीकुंड को हुई प्रस्थान 

फाटा ( रूद्रप्रयाग)। भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली ने आज बुद्धवार 8 मई को प्रात: 8.45 बजे फाटा से तीसरे पड़ाव गौरामाई मंदिर...

Recent Comments