उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी से मिली भाजपा नेत्री ऋतु मित्रा, महिला समस्याओं को लेकर सौंपा मांग पत्र, फूलों के बुके की जगह भेंट की पुस्तक

देहरादून। उत्तराखंड भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश सह मीडिया प्रभारी ऋतु मित्रा ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात की। उन्होंने सफल दिल्ली दौरे की बधाई देने के साथ ही सीएम धामी को उनके पिता डॉक्टर आरके वर्मा द्वारा देहरादून के स्वतंत्र संग्राम का इतिहास पर रचित पुस्तक भेंट की। इस मौके पर उन्होंने महिला समस्याओं को लेकर एक मांग पत्र भी CM धामी को सौंपा।

प्रदेश सह मीडिया प्रभारी ऋतु मित्रा ने मांग पत्र के माध्यम से कहा कि प्रदेश सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान और महिला सशक्तीकरण को लेकर सराहनीय प्रयास कर रही है। बेटियों को भी आगे बढ़ने के समुचित अवसर मिल रहे हैं। इसके बावजूद मैं आपका ध्यान महिलाओं विशेषकर एकल, अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं और बेटियों की समस्याओं के प्रति आकर्षित करना चाहती हूं।

उन्होंने कहा अलग राज्य के गठन में मातृशक्ति का अहम योगदान है। इसके बावजूद राज्य गठन के बाद से आज तक प्रदेश में महिला नीति नहीं बनी। ग्रामीण महिलाओं के लिए जीवन स्तर को उठाने और हाशिए पर छूट गयी महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए महिला नीति बहुत जरूरी है। महिला नीति होने से पढ़ाई, कौशल विकास, रोजगार और महिला सशक्तीकरण को बल मिलेगा।

प्रदेश सह मीडिया प्रभारी ऋतु मित्रा ने कहा प्रदेश में पिछले 20 में एकल महिलाओं यानी स्वयंसिद्धा के लिए किसी भी सरकार ने उनकी आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के स्तर पर कोई सर्वे नहीं किया कि उनका जीवन कैसे गुजर बसर हो रही हैं। एकल महिलाओं के लिए सरकार सर्वे करे और सुनिश्चित करें कि एकल महिलाओं की अनदेखी न हो।

प्रदेश सह मीडिया प्रभारी ऋतु मित्रा ने कहा गरीबी और विपन्नता के कारण प्रदेश में हजारों बालिकाओं को स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ती है। ड्रापआउट छात्राओं को दोबारा शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार पहल करे।

उन्होंने सुझाव दिया पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा एक कठिन चुनौती है। इंटर कालेज में भी कई समस्याएं हैं। मसलन यदि इंटर कालेज है तो उसमें साइंस नहीं है। ऐसे में यदि बालिका को साइंस लेनी है तो भी उसे आट्र्स ही लेनी पड़ती है। ऐसे ही यदि उच्च शिक्षा हासिल करनी है तो उन्हें दूरस्थ क्षेत्रों में जाना पड़ता है। यदि इन बालिकाओं के लिए ब्लाक स्तर पर डिस्टेंस लर्निंग सेंटर की व्यवस्था हो जाएं तो वो अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हैं।

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