उत्तराखंड

उत्तराखंड : ऑनलाइन पढ़ाई करना भी बड़ी चुनौती, पहाड़ की चोटियों पर सिग्नल ढूंढ रहे स्कूली बच्चे

कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन पहाड़ में बदहाल संचार सुविधा के कारण ये आज भी दूर की कौड़ी है। यहां संचार सेवाओं का हाल ये है कि ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ने के लिए सिग्नल की तलाश में बच्चों को पहाड़ की चोटियों या सड़कों पर जाना पड़ता है। वहीं क्षेत्रवासियों को परदेस में रहने वाले परिजनों की कुशलक्षेम पूछने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है।

ग्राम पंचायत गड़स्यारी में इंटरनेट की सुविधा न होने से आम लोगों को तो दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही कोरोनाकाल में छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई भी पूरी तरह से ठप है। हालात यह हैं कि बच्चे गांव से दूर ऊंची चोटियों या फिर बसभीड़ा आदि जाकर सड़क किनारे या दुकानों के बाहर बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।

ग्राम पंचायत गड़स्यारी में बदहाल संचार सेवाओें ने ग्रामीणों के सामने खासी चुनौती पैदा कर दी है। हालात यह हैं कि कोरोनाकाल में गांव के लिए सूचनाओं के आदान प्रदान में तो दिक्कत है ही साथ ही स्कूली छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई भी पूरी तरह से ठप हो गई है।

जंगली जानवरों का भी खतरा बना हुआ है
ग्राम प्रधान दिवाकर चौधरी का कहना है कि गांव के बच्चे सिग्नल की तलाश में पढ़ाई करने ऊंची चोटियों पर जा रहे हैं, जिससे जंगली जानवरों का भी खतरा बना हुआ है। कई बच्चे बसभीड़ा आदि स्थानों पर दुकानों के बाहर या सड़क किनारे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

उन्होंने ग्राम पंचायत के कवर क्षेत्र में टावर लगवाने और केबिल बिछाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कई बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है।

घर में पढ़ाई नहीं होगी, बाहर निकलें तो संक्रमण का खतरा
खेतों के एक छोर पर बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों की तस्वीर काफी कुछ बयां करती है, लेकिन कोई उनका सुधलेवा नहीं है। गड़स्यारी के नितिन और हिमांशु नवीं कक्षा में पढ़ते हैं। कोमल, काव्या और शीतल सातवीं में और प्रतिभा कक्षा तीन की छात्रा हैं।

बच्चों का कहना है कि कोरोना ने उनके सामने कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इंटरनेट के बिना ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करें। घर से बाहर निकलते हैं तो दो गज की दूरी का पालन करना मुश्किल होता है, संक्रमण का अलग से खतरा होता है पर बिना घर से बाहर निकले पढ़ाई संभव नहीं है। कभी गांव के ऊंचे भागों में तो कभी बसभीड़ा आदि क्षेत्रों में खेतों के किनारे पढ़ाई करनी पड़ रही है।

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