Home राष्ट्रीय शीघ्र समाधान जरूरी

शीघ्र समाधान जरूरी

केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले नौ माह से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अब 27 सितंबर को ‘भारत बंद का ऐलान किया है।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत में यह भी फैसला लिया गया कि अब देशभर में धरने-प्रदर्शनों का दौर शुरू किया जाएगा। आंदोलनरत किसानों ने अपने मंच पर बेशक किसी भी राजनीतिक दल के नेता को स्थान नहीं दिया, लेकिन इस आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद सहित तमाम विपक्षी पार्टियां खुलकर सामने आयी हैं। किसान नेताओं ने जहां आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन मिलने का दावा किया है, वहीं सत्ताधारी दल ने इसे सियासी जमावड़ा बताते हुए कहा है कि आंदोलनकारी किसान नहीं, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं। हालांकि भाजपा सांसद वरुण गांधी ने आंदोलनरत किसानों को ‘अपना ही भाई-बंधु’ बताते हुए एक ट्वीट के जरिये सरकार से अपील की है कि दोबारा बातचीत शुरू की जानी चाहिए ताकि सर्वमान्य हल तक पहुंचा जा सके। असल में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले नौ महीने से दिल्ली बॉर्डर पर किसान डेरा डाले हुए हैं।

किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिनसे उन्हें डर है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को खत्म कर देंगे तथा उन्हें बड़े कारोबारी समूहों की दया पर छोड़ देंगे। सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधार और किसानों के हित में बता रही है। इन तीन कृषि कानूनों में पहला है, ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)। इसके तहत सरकार का कहना है कि वह उपज बेचने के विकल्पों को बढ़ाना चाहती है। किसान इस कानून के जरिये मंडियों के बाहर भी अपनी उपज उचित दामों पर बेच पाएंगे। कानून के विरोध में कहा जा रहा है कि बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गयी है। यही छूट मंडियों की प्रासंगिकता को समाप्त कर देगी। दूसरा कानून है, ‘कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक। इसको लेकर सरकार का दावा है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच समझौता खेती यानी ‘कान्ट्रेक्ट फार्मिंग का रास्ता खोल रही है। आंदोलन के पक्ष में बात करने वालों का दावा है कि इससे तो किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा।

तीसरा कानून है, ‘आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक। इसके तहत कृषि उपज जुटाने की सीमा नहीं रहेगी। सरकार का कहना है कि किसानों को ‘ऑन द स्पॉट सारी राशि मिल जाएगी और उपज भी बिक जाएगी। इसके विरोध में तर्क दिया जा रहा है कि इससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी। इन कानूनों के विरोध के अलावा किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रखे जाने की कानूनी गारंटी भी चाहते हैं। हालांकि सरकार लिखित गारंटी देने के पक्ष में है। नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन गतिरोध खत्म नहीं हुआ। केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों से कहा है कि वह कानूनों में संशोधन के साथ ही अन्य मुद्दों पर भी बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन आंदोलनरत किसानों की पहली शर्त कृषि कानूनों की वापसी है। उनका कहना है कि किसानों के अनेक मुद्दे हैं, सभी पर बातचीत होगी, लेकिन सबसे पहले सरकार तीन कानूनों को रद्द करे। दोनों ओर से जारी अडिय़ल रुख के कारण पहले भी बातचीत बेनतीजा रही और स्थिति कमोबेश अभी भी वैसी ही है।

दिल्ली की सीमाएं बंद हैं और कोरोना काल में अलग-अलग मौसम चक्र में किसान धरने पर बैठे हैं। इसका लंबा खिंचना दुखदायी है। इस वक्त बेहद जरूरी है कि दोनों ओर से थोड़ा-थोड़ा लचीला रुख अपनाया जाए और बातचीत के जरिये समाधान ढूंढऩे की ओर बढ़ा जाए।

RELATED ARTICLES

गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से दायर किया नामांकन, बोले- यहां से चुनाव लड़ना गर्व की बात

अहमदाबाद। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपना...

दोपहर 1 बजे तक अरुणाचल में 37%, सिक्किम में 36% मतदान, यहां जानें अन्य राज्यों के अपडेट

नई दिल्ली। देश के 21 राज्यों में 102 सीटों पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण के साथ ही अरुणाचल प्रदेश की 60 सीटों और...

बृजभूषण ने कोर्ट के फैसले से पहले डाली अर्जी, 26 अप्रैल को आदेश सुनाएगा कोर्ट

नई दिल्ली। महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर राऊज एवेन्यु कोर्ट...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

उत्तराखण्ड में 2019 के मुकाबले इस बार 5 प्रतिशत कम रहा मतदान

कम मतदान ने राजनीतिक दलों के साथ सरकारी मशीनरी को भी चौंकाया देहरादून। उत्तराखण्ड के मतदाताओं ने इस बार के चुनाव में उत्साह नहीं दिखाया।...

उम्मीदों का संकल्प पत्र

लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनात पार्टी (भाजपा) ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया, जिसे वे ‘संकल्प पत्र’ कहते हैं। यह युवाओं, महिलाओं,...

गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से दायर किया नामांकन, बोले- यहां से चुनाव लड़ना गर्व की बात

अहमदाबाद। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपना...

सोने की सबसे बड़ी चोरी में पुलिस को सफलता, पंजाबी युवक समेत छह आरोपी गिरफ्तार

ब्रैंपटन। एयर कनाडा के कार्गो सुविधा केंद्र से पिछले वर्ष हुई सोने और विदेशी मुद्रा (दोनों 1.6 करोड़ डालर) की चोरी के मामले में...

आईपीएल 2024 के 34वें मैच में आज लखनऊ सुपर जाएंट्स से भिड़ेगी चेन्नई सुपर किंग्स

लखनऊ के इकाना स्टेडियम में होगी दोनों टीमे आमने- सामने  नई दिल्ली।  आईपीएल 2024 के 34वें मैच में आज लखनऊ सुपर जाएंट्स (एलएसजी) का सामना...

दोपहर 1 बजे तक अरुणाचल में 37%, सिक्किम में 36% मतदान, यहां जानें अन्य राज्यों के अपडेट

नई दिल्ली। देश के 21 राज्यों में 102 सीटों पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण के साथ ही अरुणाचल प्रदेश की 60 सीटों और...

जल्द ही 1 लाख रुपए तक जा सकती है सोने की कीमत, चांदी में भी आ सकती है उछाल 

नई दिल्ली। सोने की कीमतें आसमां छू रही हैं। अगर कीमतें ऐसी ही बढ़ती गईं तो बहुत जल्द सोने की कीमत 1 लाख रुपए...

उत्तराखण्ड में दोपहर 1 बजे तक 37.33 मतदाताओं ने डाले वोट

2019 के मुकाबले 1 प्रतिशत से अधिक हुआ मतदान देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर दोपहर 1 बजे तक कुल औसत 37.33 प्रतिशत मतदान...

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विधानसभा क्षेत्र में किया मतदान

बहिष्कार पर अड़ी बगयाली क्षेत्र की जनता ने महाराज के कहने पर किया मतदान पौड़ी। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज अपने विधानसभा क्षेत्र चौबट्टाखाल...

बालों में कितने दिन बाद तेल लगाना सही है, रोजाना तेल लगाना बालों के लिए हो सकता है खतरनाक

बालों को मजबूत, घना और सुंदर बनाने के लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं। कुछ लोग बालों की ग्रोथ के लिए रोजाना तेल लगाते...

Recent Comments