प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देवभूमि उत्तराखंड से है विशेष लगाव, काशी में किया बाबा केदार को याद
मुख्यमंत्री धामी ने पत्नी गीता धामी के साथ की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात
बनारस। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव है, जो समय-समय पर परिलक्षित भी होता है। अब बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी को ही ले लीजिए। श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने नए कलेवर में निखरी केदारपुरी का उल्लेख किया, तो चारधाम को जोड़ने वाली आल वेदर रोड के महत्व को भी रेखांकित किया। साथ ही उत्तराखंड में राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए चल रहे अभियान और इसमें जनसहभागिता को भी उकेरा।
केदारनाथ से प्रधानमंत्री मोदी का गहरा नाता है। एक दौर में उन्होंने केदारनाथ के नजदीक ही तपस्या की थी। जून 2013 की आपदा में तबाह हुई केदारपुरी का पुनर्निर्माण उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। प्रधानमंत्री के सपने के अनुरूप ही केदारपुरी नए कलेवर में निखरी है। यही नहीं, विभिन्न अवसरों पर केदारनाथ की विश्वभर में ब्रांडिंग करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परिणामस्वरूप केदारनाथ के प्रति आकर्षण बढ़ा है और वहां हर साल श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या इसका उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने ही चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए आल वेदर रोड परियोजना की सौगात राज्य को दी। हाल में ही प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के तहत पूर्ण हुए कुछ हिस्सों के निर्माण कार्य का लोकार्पण किया। परियोजना के तहत शेष हिस्से में कार्य तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के चल रही नमामि गंगे परियोजना के राज्य में सार्थक परिणाम सामने आए हैं। गंगा से लगे 15 नगरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और नालों की टैपिंग के कार्य किए गए, जो अब पूर्णता की ओर हैं। मंतव्य यही है कि गंदगी किसी भी दशा में गंगा में न समाने पाए। इसके सकारात्मक नतीजे आए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि गंगा के उद्गम गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के लोकार्पण समारोह में गौरव को प्रतिष्ठित कर आधुनिक भारत के निर्माण का उल्लेख करते हुए उत्तराखंड की उक्त योजनाओं का जिक्र भी किया। गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए उत्तराखंड में जिस तरह से सरकार के साथ ही विभिन्न संस्थाएं और जागरूक लोग जुट हैं, उसका उल्लेख भी उन्होंने किया। इसके माध्यम से उन्होंने उत्तराखंड से बंगाल तक के राज्यों को भी जोड़ा।