उत्तराखंड में भी पहुंचा मानसून, इस साल एक हफ्ते पहले ही राज्य में दी दस्तक
उत्तराखंड में 13 को जून मानसून पहुंच चुका है। इस साल मानसून ने एक हफ्ते पहले ही राज्य में दस्तक दी है। वहीं राज्य में सोमवार को सुबह से ही चटख धूप खिली हुई, जिससे लोगों को मानसून का आगाज होने का अहसास नहीं हो पा रहा है।
कल यानी रविवार को जब मानसून ने उत्तराखंड में दस्तक दी तो राजधानी देहरादून में कई इलाकों में झमाझम बारिश हुई और कई इलाकों में बदरा बरसे ही नहीं। आमतौर पर उत्तराखंड में 21 जून को मानसून पहुंचता है।
लेकिन इस बार करीब एक हफ्ते पहले मानसून पहुंच गया है। खास बात यह है कि केरल में मानसून तीन दिन बाद पहुंचा था। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि उत्तराखंड में भी मानसून देर से ही पहुंचेगा। लेकिन बीच में सिस्टम में आई तेजी के कारण यहां करीब एक हफ्ते पहले मानसून पहुंच गया है।
वैज्ञानिक वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि कुमाऊं के रास्ते मानसून ने राज्य में प्रवेश किया है। मानसून ने लगभग पूरे राज्य को कवर कर लिया है।
सात घंटे बंद रही पिथौरागढ़-घाट बारहमासी सड़क
चुपकोट बैंड पर मलबा आने से पिथौरागढ़-घाट बारहमासी सड़क फिर बंद हो गई। रविवार सुबह चार बजे से 11 बजे तक इस मार्ग पर यातायात ठप रहा। इस दौरान दैनिक जरूरत का सामान लेकर जा रहे वाहन घंटों फंसे रहे। कपकोट के काफलीकमेड़ा में हुए भूस्खलन गांव को जोड़ने वाली दो पुलिया बह गईं। खेत मलबे से पट गए।
पिथौरागढ़-घाट सड़क पिथौरागढ़ जिले की जीवन रेखा मानी जाती है। यह बारहमासी सड़क पिथौरागढ़ से घाट तक लगभग पांच स्थानों पर पहाड़ी से मलबा गिरने के कारण खतरनाक बनी हुई है। सड़क का सबसे संवेदनशील स्थान चुपकोट बैंड है। इस स्थान पर पहाड़ी से लगातार मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के भीतर चार बार मलबा आने से सड़क बंद हो चुकी है।
शनिवार देर रात भी यहां भारी मात्रा में मलबा आ गया। इसके चलते रविवार की सुबह यातायात प्रभावित रहा। तड़के चार बजे पिथौरागढ़ से टनकपुर और हल्द्वानी के लिए निकले वाहन मार्ग पर फंस गए। मैदानी क्षेत्रों से आ रहीं टैक्सियों के साथ ही दूध, सब्जी, गैस और राशन सहित ट्रांसपोर्ट के दर्जनों ट्रकों की लंबी कतार लग गई। एनएच विभाग ने मलबा हटाने के लिए जेसीबी भेजी। सड़क के मलबा हटाया जाता, उपर से बोल्डर गिरते रहते, इससे सड़क खोलने में काफी परेशानी हुई।