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जनजातीय विकास में शिक्षा का महत्व: सरगुजा में बदलाव की लहर

एम. सिद्दीकी

जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं, जो एक अलग निश्चित भू-भाग में निवास करती हैं और जिनकी एक अलग संस्कृति, अलग रीति-रिवाज, अलग भाषा होती है । सरल अर्थों में कहें तो जनजातियों का अपना एक वंशज, पूर्वज तथा सामान्य से देवी-देवता होते हैं। ये अमूमन प्रकृति पूजक होते हैं। गौरतलब है कि अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है और इसी के मूल में निश्चित रूप से भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित जनजातियाँ हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में रहते हुए अपनी संस्कृति के ज़रिये भारतीय संस्कृति को एक अनोखी पहचान देती हैं।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित सरगुजा का जन शिक्षण संस्थान द्वारा आदिवासी मामलों में नई-नई योजनाओं को जमीनी स्तर पर रखकर और उनका क्रियान्वयन कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का काम कर रहा है।

जन शिक्षण संस्थान सरगुजा ने जनजातीय लोगों के विकास के साथ ही उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक,  कौशल विकास, रोजगार, स्वरोजगार और स्वास्थ्य जैसी अनेक उपयोगी सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं । जन शिक्षण संस्थान सरगुजा के द्वारा क्रियान्वित अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ तमाम सरगुजा के विकासखंड एवं दूर-दराज के इलाकों में बसे जनजातीय लोगों को मिलने लगा है। इसी का परिणाम है कि अब वो शहरो के अन्य लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगे हैं। आज भी सामाजिक संपर्क स्थापित करने में अपने-आप को सहज नहीं पाती हैं। इस कारण ये सामाजिक-सांस्कृतिक अलगाव, भूमि अलगाव, अस्पृश्यता की भावना महसूस करती हैं।  इसी के साथ इनमें शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी सुविधाओं से वंचन की स्थिति भी मिलती है।आज भी जनजातीय समुदायों का एक बहुत बड़ा वर्ग निरक्षर है जिससे ये आम बोलचाल की भाषा को समझ नहीं पाती हैं। सरकार की कौन-कौन सी योजनाएँ इन तबकों के लिये हैं, इसकी जानकारी तक इनको नहीं हो पाती है। जो इनके सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है।इनके आर्थिक रूप से पिछड़ेपन की बात की जाए तो इसमें प्रमुख समस्या गरीबी तथा ऋ णग्रस्तता है। जनजातियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण उनका आर्थिक रूप से पिछड़ापन ही है जो उन्हें उनकी बाकी सुविधाओं से वंचित करता है।

जनजातियों के उत्थान के लिये उठाए गए कदम:-
शिक्षा संबंधी समस्याओं को दूर करने हेतु यह ज़रूरी है कि आदिवासियों के लिये सामान्य शिक्षा तथा विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। गोदना आर्ट,इलेक्ट्रिकल, वेल्डर, प्लम्बरिंग, सिलाई प्रशिक्षण द्वारा युवाओं, पुरुषो एवं विधवा महिलाओ को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना. जिले मे 700 महिलाओ को रोजगार, 978 महिलाओ को स्वरोजगार (शॉप, फर्म, एस्टेब्लिशमेंट ) सुनिश्चित करना। आसाक्षर हितग्राहियो को साक्षर कर विकास कि मुख्य धारा मे लाने हेतु निरंतर प्रयास करना। सभी वर्ग को वित्तीय सहायता हेतु  (1289 से अधिक) बैंक लिंकेज के माध्यम से जोडऩा.
जन शिक्षण संस्थान सरगुजा ने अनेक गांवों मे एवं सभी विकासखंड मे स्किल डेवलपमेंट कोर्स की शुरुआत की। इसी तारतम्य मे महिलाओं को पुरुषों के साथ जोडक़र विकास की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ाया। उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए जिससे कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्हें बेकारी की समस्या से न जूझना पड़े। कृषि, पशु-पालन, मुर्गी-पालन, मशरूम कल्टीवेशन,मत्स्य-पालन,मधुमक्खी पालन एवं अन्य प्रकार की हस्तकलाओं (गोदना कला, कास्ट कला, सिलाई प्रशिक्षण) का भी उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए ।

इस प्रकार 2010 से अब तक 15 हज़ार से अधिक आदिवासी जनजातियों को कौशल विकास के अंतर्गत शिक्षा देकर पारंगत किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप आज अनेक परिवार ने स्व-रोजगार एवं रोजगार को चुनौती नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में ग्रहण किया है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से अवगत कराने के लिये समय-समय पर सेमिनार, नुक्कड नाटक के माध्यम से, चौपाल लगाकर, रैली के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में (स्वास्थ्य हेतु) प्रचार- प्रसार किया गया। जिसका परिणाम यह रहा कि स्वास्थ्य के मामलों में सजगता एवं सतर्कता की मिशाल पेश हुई। बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की आवश्कता एवं टीकाकरण के महत्व की जानकारी को बढावा देना ताकि इनमें कुपोषण से होने वाली बीमारियों को समाप्त किया जा सके।

जनजातियों की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है- उनका सांस्कृतिक अलगाव। लिहाज़ा उनकी इस समस्या को हल करने के लिये जन शिक्षण संस्थान द्वारा जिले स्तर पर बेल मेटल (कांसे द्वारा निर्मित), गोदना आर्ट, कास्ट कला द्वारा संस्कृति के साथ जोडक़र स्व रोजगार उपलब्ध कराना। इसमें उनकी भाषा संबंधी समस्या का भी समाधान निहित है। जिसमें 15,000 से भी  प्रतिभागियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण मे भाग लेने का अवसर मिला।
रही बात समाज के सदस्यों की तो सभी आम नागरिकों का यह कर्त्तव्य होना चाहिये कि वे अपने हितों के साथ-साथ जनजातियों के हितों की भी रक्षा करें।  ट्रेनिंग कम्प्लीट हो जाने के बाद सर्टिफिकेट उपलब्ध करवा कर प्रशिक्षणार्थियों को बैंक लिंकेज से जोडक़र विकास की मुख्यधारा मे लाना। जिसमें अभी तक 1289 से अधिक लोगों ने जुड़ कर अवसरों का लाभ उठाया है। सेल्फ हेल्प ग्रुप का भी निर्माण करना ताकि अधिक से अधिक महिलाएं अपनी आर्थिक समस्याओं को सामने रखकर रोजगार के अवसरों को बुन सकें। जिसमें 1200 से अधिक आदिवासी महिलाओं ने जुडक़र लाभ प्राप्त किया है। 4500 रोजगार एवं 9,500 से अधिक स्वरोजगार प्रशिक्षणार्थियों के जीवन कौशल को संवारने मे मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

जन शिक्षण संस्थान सरगुजा नेतृत्व में जनजातीय समुदाय के आर्थिक विकास के लिए भी काफी काम किया जा रहा है। आदिवासी समुदाय के 3000 से भी अधिक युवाओं को केंद्र सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम से जोड़ा गया है। जिसका परिणाम काफी संतोषजनक रहा । जनजातीय लोगों को आधुनिक तकनीकि से प्रशिक्षित कर कृषि, बागवानी, मछलीपालन, पशुपालन जैसे पारंपरिक पेशों के अलावा उन्हें फ्रिज-एसी, मोबाइल की मरम्मत, ब्यूटीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, सुरक्षा गार्ड, घरेलू नर्स जैसे क्षेत्रों में पारंगत किया जा रहा है। इसके साथ ही चित्रकारी, हथकरघा, हस्तशिल्प, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन जैसे क्षेत्रों में जनजातीय लोगों को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

ग्रामीण एवं नगरीय निकाय 7175 के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के पुरुषो -महिलाओ के उत्थान हेतु उनकी पारंपरिक कौशल को आय मूलक गतिविधियो से जोडक़र आत्मनिर्भर बनाकर नई दिशा प्रदान कि गई है । पहाड़ी कोरवा जन जातियों के उत्थान हेतु शिक्षा की भूमिका बनाकर नई दिशा प्रदान करना। ग्रामीण अंचल में सफाई और शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सभी जऩ- मानस को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे का प्रयास करना।

बदलती स्थिति :-
खुले में शौच करने वालों में ज्यादातर गरीब और खासकर दलित व आदिवासी रहे हैं जिनके पास अपना शौचालय नहीं था। जिससे पनपने वाले अनेको बीमारीयों को बताकर उन्हें अवगत कराया गया।  स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में सफाई के महत्त्व को रैलियों, नाटकों के माध्यम से दर्शाया गया। स्वास्थ्य को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग बताया गया साथ ही भारत को स्वच्छ बनाने मे आदिवासियों की भूमिका सुनिश्चित की गई।
नवाचार और उद्यमिता : रोजगार की कुंजी युवाओं के लिए अवसर पैदा करने की दिशा में चुनौतियाँ 15-29 साल के आयु वर्ग की जनसंख्या के साथ अधिक रहीं हैं। जन शिक्षण संस्थान सरगुजा ने अपने निरंतर प्रयास से असुविधा को अवसर मे बदला। साथ ही इस युवा शक्ति का उपयोग करके छत्तीसगढ़ को कौशल राजधानी बनाने का प्रयास है। लेकिन शिक्षा और कौशल के निम्न स्तर तथा पढ़ाई जारी न रखने की बढ़ती दरों से युवाओं की रोजगार हासिल करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है । वे ज्यादातर निम्न कौशल वाली नौकरियों का चयन करते हैं और कई युवा बाद में कृषि , विनिर्माण में और परिवहन में कार्य करते हैं ।

युवाओं के रोजगार हासिल न कर पाने के कारणों में से एक है अधिकांश युवाओं का शिक्षा के सामान्य विषय वर्ग को प्राथमिकता देना , जबकि केवल 12.6 त्न तकनीकी पेशेवर का और 2.4 त्न व्यावसायिक शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित करते हैं । सुव्यवस्थित रोजगार को बढ़ाने की भी आवश्यकता है। जिसके लिए जन शिक्षण संस्थान निरंतर प्रयास कर रहा है।  डिग्री के बजाय कौशल पर जोर देने के लिए प्रयास। प्रशिक्षण कौशल जो सभी व्यवसायों में उपयोगी होता है । विशेष उद्योग के लिए आवश्यक विशिष्ट कौशल प्रदान करना।शिक्षा हासिल करने के साथ – साथ स्नातक स्तर के समय तक नौकरी , बाजार के लिए तैयार करते हैं ।  छात्रों में नई सोच की आदत विकसित करने, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और हस्तांतरणीय कौशल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ।

रोजगार पैदा करने तथा उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देना। रोजगार के अवसर पैदा करना , नवाचार को बढ़ावा देना , उद्यमशीलता का एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में विकसित करना।  गरीब परिवारों पर विशेष ध्यान ।अनौपचारिक कौशल को औपचारिक रूप प्रदान करने पर जोर देना। बाह्य मुल्यांकन एवं लाइफ स्किल जैसे कार्यक्रमो का समावेश। जिससे कामगारों के कौशल का परीक्षण , मूल्यांकन और प्रमाणन किया जाता है ।उद्यमिता को बढ़ावा देना । जिसके अंतर्गत अनेकों स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया गया है ।
सतत देखभाल के जरिए महिला सशक्तिकरण को मजबूत करना। किसी देश के लिए अपनी सभ्यता का निर्माण करने के लिए उसका अपने समाज में महिलाओं का मजबूत , बराबर , सक्रिय और रचनाशील होना , तथा उन्हें गुणवत्तापूर्ण और समान स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना महत्वपूर्ण है । इसके महत्व को पहचानते हुए महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए अन्य विषयों मे प्रशिक्षण का आयोजन करना।गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (प्रशिक्षण) तक पहुंच उपलब्ध कराना। सरगुजा मे आदिवासियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक बेहतर पहुंच बनाने पर ध्यान देता है ।

जनजाति वर्ग की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए बेहतर प्रशिक्षण कार्यो को क्रियान्वित करना। जिससे सरगुजा मे आदिवासी महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश हो सके। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर भी जोर दिया गया है । जिससे प्रदूषण पर रोक एवं बीमारियों पर रोक लगाई जा सके।जिसका स्वास्थ्य पर कोई भी बुरा असर ना हो। गोबर से दिए निर्मित करना,मिट्टी के दीए निर्मित करना, घर में डिटर्जेंट पाउडर बनाना, कोरोना काल में मास्क एवं सैनिटाइजर बनाना आदि को कुशलता पूर्वक किया गया। देश में सामाजिक रूप से पिछड़े और हाशिए पर मौजूद लोगों के बीच उद्यमिता संबंधी क्षमताओं को बढ़ावा देकर सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर बहुआयामी प्रगति हासिल की जा सकती है । जन शिक्षण संस्थान सरगुजा ने अपने अथक प्रयासों से हुनर को ही अवसर उद्यमिता संबंधी प्रेरणा के साथ आजीविका से जुड़े कौशल,स्व-रोजगार और रोजगार प्रशिक्षण पर काम करने का शपथ लिया है यही हमारा मकसद है। यही हमारे सपनों के भारत की पहचान है।  पहचानों अपने कौशल को, जिससे देश का विकास हो ।
लेखक निदेशक, जन शिक्षण संस्थान, सरगुजा (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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