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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का कल आयेगा परिणाम, कैसे होती है वोटों की गिनती? आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रकिया

देहरादून। लोकतंत्रिक चुनाव प्रक्रिया में मतदान के बाद मतगणना सबसे महत्वपूर्ण और निर्वाचन की अंतिम चरण की प्रक्रिया है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी लंबी जद्दोजहद होती है। मतगणना करने वाले कर्मचारियों का रेंडामाईजेशन से लेकर पारदर्शी तरीके से सुरक्षा घेरे में चक्रवार मतगणना करना इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। जिसमें रिर्टनिंग अधिकारी, मतगणना कर्मी, मतगणना अभिकर्ता और ईवीएम की सुरक्षा करने वाले कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आइए जानते हैं मतगणना की प्रक्रिया को कैसे और कहां से शुरू होती हैं और कैसे समाप्त होती है। इसी दौरान किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

स्ट्रांग रूम, सुरक्षा और मतगणना स्थल
उत्तराखंड राज्य में मतदान की प्रक्रिया 14 फरवरी को हो चुकी है। मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीपीपैट) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक-चौबंद होती है। उत्तराखंड में स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के पास है। स्ट्रांग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे। यह सुरक्षा मतगणना तक जारी रहती है। स्‍ट्रांग रूम के पास ही मतगणना स्थल बनाया जाता है। यह स्थल राज्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जिला मुख्यालय में निर्धारित किसी नियत जगह पर बनाया जाता है। जहां उस जिले से जुड़े सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतों की गिनती होती है।

सुबह पांच बजे होगा रेंडामाईजेशन
उत्तराखंड सहित देश के पांच राज्यों में 10 मार्च को मतगणना होनी है। मतगणना में तैनात होने वाले कर्मचारियों को मतगणना से संबंधित प्रशिक्षण पूर्व में दिया जाता है। इन कर्मचारियों की तैनाती किसी विधानसभा और किसी टेबल पर होनी है। यह मतगणना दिवस के दिन ही पता चलता है। जिला निर्वाचन अधिकारी मतगणना दिवस के दिन सुबह पांच बजे मतगणना कर्मियों की तैनाती के लिए रेंडामाईजेशन कंप्यूटर के जरिये करते हैं। जिसके बाद सुबह छह बजे मतगणना कर्मी मतगणना स्थल पर पहुंच जाते हैं। जिसके बाद उन्हें अपनी टेबल की जानकारी मिलती है।

ऐसे शुरू होती है मतगणना की प्रक्रिया
मतगणना के दिन सुबह छह बजे तक मतगणना केंद्र के भीतर मतगणना कर्मचारी, विभिन्न दलों के अभिकर्ता को प्रवेश दिया जाता है। अभिकर्ताओं को मतगणना स्थल तक पहुंचने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी से प्रवेश कार्ड बनाने होते हैं। मतगणना की टेबल के निकट अभिकर्ताओं के बैठने की व्यवस्था की जाती है। इस क्षेत्र में मतगणना अधिकारी कर्मचारियों और अभिकर्ताओं को फोन, कैमरा सहित अन्य प्रतिबंधित सामग्री वर्जित होती है।

सबसे पहले होती है पोस्टल बैलेट की गिनती
मतगणना दिवस पर सुबह 8 बजे मतों की गिनती शुरू हो जाएगी। इस प्रक्रिया में सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है। संबंधित विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी पोस्टल बैलेट को संबंधित विधानसभा की मतगणना टेबल तक भेजते हैं। इसलिए सबसे पहले पोस्टल बैलेट मतों का परिणाम जारी होता है। भले ही पोस्टल बैलेट की गिनती उस स्थिति में दोबारा करवाई जाती है जब किसी प्रत्याशी की जीत और हार में पोस्टल बैलेट के मत महत्वपूर्ण हो रहे हों।

अभिकर्ताओं के सामने शुरू होती है गिनती
पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद ही ईवीएम कंट्रोल यूनिट से गिनती शुरू होती है। इसके लिए सबसे पहले स्ट्रांग रूम से ईवीएम कंट्रोल यूनिट को मतगणना टेबल पर लाया जाता है। एक बार में ज्यादा से ज्यादा 14 ईवीएम कंट्रोल की गिनती की जाती है। इसके लिए उसी तरह राज्य निर्वाचन आयोग टेबल की व्यवस्था करता है। मतगणना टेबल पर मतगणना कर्मी अभिकर्ताओं की मौजूदगी में मतों की गितनी की शुरूआत करते हैं। जिसमें ईवीएम मशीन की सील आदि की जांच करवायी जाती है और यह सुनिश्चित करते हैं कि मशीन से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।

रिजल्ट का बटन दबाते ही प्रदर्शित होती हैं मतों की संख्या
मतगणना टेबल पर मतगणना की पूरी प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी मतगणना अभिकर्ताओं को बताते हैं कि कैसे ईवीएम कंट्रोल यूनिट का बटन दबाते हैं, जिसके बाद हर उम्मीदवार के मतों की संख्या दिख जाती है। जैसे मतगणना अधिकारी ईवीएम कंट्रोल यूनिट में रिजल्ट बटन का दबाता है तो हर उम्मीदवार को पड़े मतों की संख्या आ जाती है। इसी प्रक्रिया के दौरान मतों की गिनती कर रहा कर्मचारी हर उम्मीदवार को पड़े मतों की संख्या निर्वाचन आयोग की ओर से जारी पत्र में लिखकर उसे रिटर्निंग आफिसर को देता है।

पहले राउंड के नीतजों का ऐलान
हर विधानसभा में पोलिंग बूथों और ईवीएम के अनुसार मतगणना के राउंड तय किए जाते हैं। जिस विधानसभा में सबसे कम मतदेय स्थल होते हैं उस विधानसभा में मतगणना के राउंड सबसे कम होते हैं। एक राउंड के मतगणना की प्रक्रिया पूरी होती है। मतगणना से जुड़े कर्मचारी सारी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर को दे देते हैं। प्रत्येक राउंड में रिटर्निंग अधिकारी गणना की गई दो ईवीएम कंट्रोल यूनिट को चयनित करते हैं। जिसमें रिटर्निंग अधिकारी व सहायक रिटर्निंग अधिकारी के निर्देशन में उन दो ईवीएम कंट्रोल यूनिट की जांच की जाती है। जिससे इस बात को पुख्ता कर लिया जाए कि जो रिपोर्ट मतगणना कर्मियों ने दी है वह सही है। इसका तालिका से भी मिलान किया जाता है। जिसके बाद पहले राउंड के नतीजों का ऐलान किया जाता है। हर राउंड की गिनती के नतीजे की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को दी जाती है। फिर यहीं से जानकारी चुनाव के सर्वर में फीड की जाती है।

प्रत्येक राउंड का किया जाता है मिलान
मतगणना के दौरान प्रत्येक राउंड के बाद ईवीएम कंट्रोल यूनिट डाटा और शीट में भरे गए डाटा का मिलान किया जाता है। मिलान के बाद इसे रिटर्निंग ऑफिसर और प्रत्याशियों के एजेंटों को भी नोट कराया जाता है। इसके अलावा मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाती है। जिससे पूरी पादर्शिता बनी रहे। मतगणना की गिनती की प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक मतगणना पूरी नहीं होता जाती। मतगणना समाप्त होने पर रिटर्निंग अधिकारी चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी को जीत का प्रमाण पत्र जारी करता है।

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