Home ब्लॉग बचा रहेगा अपना हिंदुस्तान, शर्त बस इतनी है...

बचा रहेगा अपना हिंदुस्तान, शर्त बस इतनी है…

सौरभ श्रीवास्तव
लता मंगेश्कर को श्रद्धांजलि देते शाहरुख खान और उनकी मैनेजर पूजा डडलानी की तस्वीर वायरल हुई। तस्वीर में शाहरुख दुआ पढऩे की मुद्रा में हाथ जोड़े हुए हैं, हथेलियां खुली हैं और उनके चेहरे की ओर हैं। जबकि पूजा के हाथ प्रार्थना के लिए जुड़े हुए हैं। लोगों ने इसे ‘असली हिंदुस्तान’, ‘बचा रहे ऐसा हिंदुस्तान’ बताते हुए सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया।

मैंने भी अपने एक दोस्त को यह तस्वीर भेजी। उसने पूछा, इसमें खास क्या है? सामान्य सी तस्वीर है। मैंने कहा कि दो धर्मों के लोग अपने-अपने तरीके से लताजी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, यह खास नहीं लग रहा तुम्हें? नहीं- दोस्त ने सपाट सा जवाब दिया। बोला, ‘क्या तुम्हारे किसी जलसे या गम में मुसलमान दोस्त या पड़ोसी शामिल नहीं होते? होते होंगे तो अपने ही तौर तरीकों से दुआ पढ़ते होंगे और तुम अपने।’

यह सामान्य हमें क्यों खास लगने लगा मैं सोच ही रहा था कि वॉट्सऐप पर एक विडियो आया। विडियो में शाहरुख दुआ पढऩे के बाद चेहरे से मास्क हटाते हैं और लताजी के पार्थिव शरीर की ओर फूंकते हैं। फातिहा पढऩे के बाद ऐसा करने की रवायत है। हिंदू धर्म में भी मंत्र पढऩे के बाद फूंकने की परंपरा है। लेकिन अलग रंग का चश्मा पहनने वालों को कुछ और ही दिखा। उन्हें लगा कि शाहरुख थूक रहे हैं। असलियत की पड़ताल किए बिना शुरू हो गया दुष्प्रचार का सिलसिला। मन बेचैन हुआ तो सबने एक ही बात समझाई, ‘ऐसे लोगों को इग्नोर करो। हर मौके पर ये ऐसा तरीका तलाश ही लेते हैं।’

इस घटना से एक बात बहुत साफ समझ में आई। समाज में नॉर्मल और स्पेशल के ध्रुव पूरी तरह से उलट गए है। हिंसा, सांप्रदायिकता, एक-दूसरे को बर्दाश्त न करना, बहसों के दौरान हिंसक हो जाना वगैरह को अब समाजशास्त्री न्यू नॉर्मल बता रहे हैं और इसके खतरों को भी रेखांकित कर रहे हैं। लेकिन न्यू स्पेशल की ओर लोगों का ध्यान कम जा रहा है। बीस साल पहले तक जो सामाजिक समरसता हमारे जीवन का हिस्सा थी, अब वह कहीं दिखती है तो हमें सुखद आश्चर्य दे जाती है। ऐसा क्यों हुआ?

सोशल मीडिया के लोकप्रिय होने से पहले के वक्त पर नजर डालिए। समाज को वैचारिक दिशा देने का काम कौन लोग करते थे? लेखक, साहित्यकार, शोधकर्ता, विश्वविद्यालयों के अध्यापक, समाजशास्त्री आदि। इनके लेख अखबार, पत्रिकाओं, किताबों आदि में प्रकाशित होते थे। प्रकाशित होने से पहले इन लेखों के तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाता था। संपादक इन लेखों पर नजर रखते थे, जरूरत होने पर परिमार्जन भी करते थे। एक ऐसा निगरानी तंत्र था, जो वैमनस्य बढ़ाने वाली चीजों पर नजर रखता था।

न्यू मीडिया के आने के बाद से यह निगरानी तंत्र काफी हद तक हाशिए पर चला गया है। यहां हर व्यक्ति लेखक है। वह अपना लिखा सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है, उसके फॉलोअर उस पर कॉमेंट करते हैं और शेयर भी करते हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का एलगोरिदम भी सिर्फ लाइक्स और कॉमेंट्स गिनता है। यह नहीं देखता कि कॉमेंट्स में बात क्या कही जा रही है। वायरल होने वाली टिप्पणियों, फोटो, विडियो की रीच आम तौर पर अखबारों और पत्रिकाओं के सर्कुलेशन से ज्यादा होती है। जाहिर है, इनका असर भी ज्यादा लोगों पर होता है। कुछ सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ने परिमार्जन का काम शुरू किया है पर वह बहुत ही सीमित है। ज्यादातर केसों में किसी यूजर के रिपोर्ट करने पर ही पोस्ट की जांच की जाती है। तब तक सांप्रदायिकता या हिंसा को बढ़ावा देने वाली पोस्टें अपना काम कर चुकी होती हैं।
इन पोस्टों का शोर इतना ज्यादा है कि हमें सामान्य सी सही और नैतिक बातें स्पेशल लगने लगी हैं। यह हमारे वक्त का न्यू स्पेशल है। अनूठी भाषा वाले कवि विनोद कुमार शुक्ल बहुत ही सादगी से इसे रेखांकित करते हैं, ‘यह चेतावनी है/ कि एक छोटा बच्चा है। यह चेतावनी है कि चार फूल खिले हैं। यह चेतावनी है कि खुशी है और घड़े में भरा हुआ पानी पीने के लायक है, हवा में सांस ली जा सकती है। यह चेतावनी है कि दुनिया है बची दुनिया मेंज्’।

RELATED ARTICLES

केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली

विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ देश के हितों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगा।प्रवर्तन...

मैं हूं मोदी का परिवार- विपक्ष का विरोध हास्यास्पद

अवधेश कुमार मैं हूं मोदी का परिवार टैगलाइन 2024 के चुनाव का एक प्रमुख नारा बन गया है। यह वैसे ही है जैसे 2019 लोक...

मौसम की मार से त्रस्त जनजीवन

सुरेश भाई इस जनवरी-फरवरी के 45 दिनों में जिस तरह से कंपकंपाती शीत और पहाड़ों पर बर्फ पडऩी चाहिए थी, वह नहीं दिखाई दी। शीतकाल...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

सीमान्त इलाके में कई विकास कार्य हो रहे – धामी

थराली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने थराली में गढ़वाल सीट से भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी के पक्ष में आयोजित जनसभा में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री...

आईपीएल 2024- आरसीबी और केकेआर के बीच मुकाबला आज 

नई दिल्ली।  रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु (आरसीबी) और कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के बीच  मुकाबला शुक्रवार को  बैंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाएगा।...

पत्नी की हत्या के बाद रेलवे ट्रैक पर कूद कर मजदूर ने दी अपनी जान

देहरादून। गुरूवार को एक व्यक्ति ने लक्सर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। जीआरपी लक्सर ने मृतक के मोबाइल...

बड़े मियां छोटे मियां का ट्रेलर जारी, अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ ने किया जबरदस्त एक्शन

बॉलीवुड खिलाड़ी अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ स्टारर फिल्म बड़े मियां छोटे मियां लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। फिल्म के टीजर और गाने...

देहरादून एयरपोर्ट पर 31 मार्च से फ्लाइटों की संख्या हो जाएगी दोगुनी, यात्रा सीजन में मिलेगा लाभ 

देहरादून। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने आगामी 31 मार्च से समर शेड्यूल 2024 को लागू कर दिया है। इस समर शेड्यूल में देहरादून एयरपोर्ट...

गर्मियों में महिलाओं को एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए और क्यों?

इंसान के शरीर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना हुआ है. इस बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि एक इंसान...

मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से हुई मौत, भाई ने दो दिन पहले जताई थी आशंका

इलाज में  जुटी थी नौ डॉक्टरों की टीम  बांदा। करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर...

भाजपा के संकल्प पत्र निर्माण को लेकर मिले 70 हजार से अधिक सुझाव

संकलन के बाद विकसित भारत की गारंटी बनने वाला होगा संकल्प पत्र - त्रिवेंद्र देहरादून। भाजपा ने कहा कि प्रदेश की जनता ने दिल खोल...

केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली

विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ देश के हितों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगा।प्रवर्तन...

चार जून को उत्तराखंड में चारों ओर खिलेगा कमल- मुख्यमंत्री

नैनीताल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में बेतालघाट में जनसभा नैनीताल। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज नैनीताल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी...

Recent Comments