उत्तराखंड

कांवड़ यात्रा : उत्तराखंड के बैन के बाद आयोजन को लेकर क्या है उत्तर प्रदेश का रुख?

देहरादून/लखनऊ। ‘इस बारे में पड़ोसी राज्यों से काफी बातचीत के बाद निष्कर्ष यही निकला कि उत्तराखंड में नया वैरिएंट दस्तक दे चुका है और अब हम नहीं चाहते कि हरिद्वार महामारी का केंद्र बन जाए। लोगों की ज़िन्दगी हमारी प्राथमिकता है और हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।’ यह बात उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को पत्रकारों से कही। डेल्टा प्लस वैरिएंट केस राज्य में मिलने के बाद कांवड़ यात्रा को इस साल रद्द करने के फैसले के बारे में सीएम ने साफ कहा कि विशेषज्ञों की चेतावनियों के बाद उत्तराखंड तीसरी लहर का कारण नहीं बनना चाहता। इस बैन के बाद पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में नये सिरे से कांवड़ यात्रा को लेकर रणनीति बनने लगी है।

पिछले करीब डेढ़ हफ्ते से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच कांवड़ यात्रा के आयोजन को लेकर बातचीत चल रही थी। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएम धामी से एक से ज़्यादा बार फोन पर बातचीत भी की थी। इस बातचीत के बाद पिछले दिनों उत्तराखंड कांवड़ यात्रा पर लगभग सहमत भी हो गया था, लेकिन जानकारों की चिंताओं और चेतावनियों के बाद ताज़ा फैसले के तौर पर कांवड़ यात्रा को इस साल रद्द किया गया। हालांकि उप्र अब भी इस यात्रा के पक्ष में है और अपने स्तर पर आयोजन करवाने जा रहा है।

इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश कांवड़ यात्रा का बड़ा केंद्र रहेगा।

प्रतिबंधों के साथ होगी उप्र में यात्रा

कांवड़ यात्रा वास्तव में उन श्रद्धालुओं की यात्रा है, जो गंगा के घाटों पर जाकर गंगाजल लेते हैं और अपने गांव या घर ले जाते हैं। वहां इस गंगाजल से देवी देवताओं का अभिषेक किया जाता है। 2019 में जब आखिरी बार यह यात्रा हुई थी, तब इसमें 3।5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे थे। इस यात्रा का बड़ा केंद्र पारंपरिक तौर पर हरिद्वार रहा करता है, लेकिन इस साल उत्तराखंड के फिर इस यात्रा को निरस्त करने पर उप्र अपने स्तर पर आयोजन करवाएगा।

कानून व्यवस्था के लिए यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि इस साल 25 जुलाई से 6 अगस्त के बीच कांवड़ यात्रा होगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि 2019 में इस यात्रा के दौरान 2 से 3 करोड़ श्रद्धालु पश्चिमी उप्र के तीर्थ स्थानों पर पहुंचे थे। इस साल कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ ही यात्रा को मंज़ूरी दिए जाने की बात कही गई है और उप्र सरकार ने दावा किया है कि सुनिश्चित करवाया जाएगा कि कोविड नियमों का अनुशासन बना रहे।

गौरतलब है कि इस बार हरिद्वार के बजाय उप्र के बागपत, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, शामली, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली, खेड़ी, बाराबंकी, अयोध्या, गोरखपुर, झांसी, संत कबीर नगर, बस्ती, वाराणसी, भदोही, मऊ, मिर्जापुर, सीतापुर और लखनऊ आदि ज़िलों में कां​वड़ियों का ट्रैफिक ज़्यादा रहेगा।

 

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