उत्तराखंड

भू-कानून पर दंगल : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नए भू-कानून को लेकर तेज हुई सियासत

देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 से ऐन पहले प्रदेश में नए भू-कानून को लेकर सियासत तेज हो गई है। भूमि खरीद के लिए कानून में किए गए बंदोबस्त को राज्यवासियों के हितों पर चोट करार देते हुए विपक्षी दलों ने सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा को घेरने की कोशिश तेज कर दी हैं। सोशल मीडिया पर बाकायदा मुहिम चलने के बाद अब इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की कसरत की जा रही है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लपककर नया मोर्चा खोल दिया है। वहीं प्रदेश भाजपा इस मुद्दे पर विपक्ष को खेलने का मौका नहीं देना चाहती। सत्तारूढ़ पार्टी ने भूमि कानून में संशोधन पर विचार करने की जरूरत पर जोर देकर जवाबी रणनीति आगे कर दी है।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से हिमाचल की तर्ज पर सख्त भू-कानून लागू करने की पैरोकारी की जाती रही है। भूमि की अनाप-शनाप खरीद फरोख्त पर रोक के लिए कानूनी प्रविधानों के पक्ष में बुद्धिजीवी भी आवाज बुलंद करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भू-कानून के मुद्दे को गरमाने की तैयारी है। राज्य बनने के बाद 20 सालों में भू-कानून में तीन बड़े बदलाव किए जा चुके हैं। वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक इस कानून को बाहरी पूंजी निवेशकों को आमंत्रित करने और उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए लचीला बनाया गया। जिसके बाद एक बार फिर नए भू की माँग जोर पकड़ने लगी है।

कुमाऊँ मंडल के हल्द्वानी शहर में हर हफ्ते रैलियां निकल रही है। रुद्रपुर सिडकुल में कार्य कर रहे युवाओं को सप्ताह में एक बार अवकाश मिलता है, और इस दिन आराम करने की जगह ये युवा भू कानून की मांग के लिए हल्द्वानी के तिकोनिया पार्क में इकठ्ठा होते है और भू कानून की मांग के लिए आवाज उठा रहे है ।

इन्ही में से एक युवा आशीष जोशी भी हैं जो यू ट्यूबर भी है।
आशीष जो कि मूलतः पौड़ी गढ़वाल से है, उन्होंने अपने घर जाते हुए भी रात को बस के सफर में लोगों को भू कानून से संबंधित बाते बताई, और भू कानून से संबंधित पर्चे भी बांटे। आशीष के साथ ही भू कानून को लेकर अन्य युवाओं में जोश व जुनून है।अनिल शर्मा, पंकज चौधरी, योगेश कंडवाल, प्रदीप , आदि युवा हर तरह से भू कानून के लिए अपना योगदान दे रहें है।

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