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सरकार ने HC जजों के तौर पर पदोन्नति को भेजे गए 14 नाम पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को लौटाए: सूत्र

नई दिल्ली। ऐसी जानकारी मिली है कि सरकार ने उन 14 अधिवक्ताओं के नाम उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिए हैं, जिनकी उसने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी। सूत्रों ने विस्तार से जानकारी दिये बिना बताया कि दिल्ली, कलकत्ता, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और केरल उच्च न्यायालयों में पदोन्नति के लिए ये नाम भेजे गए थे।

सरकार के सूत्रों ने बताया कि सभी नामों को संभवत: जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत के बीच एक सप्ताह के भीतर पुनर्विचार करने के अनुरोध के साथ वापस कर दिया गया था, लेकिन शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने करीब एक साल पहले ये सिफारिश की थी और कुछ मामलों में तो सिफारिश एक साल से भी पहले की गई थी। बताया जा रहा है कि इनमें 3 महिला वकीलों का नाम भी शामिल है।

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि पिछले एक साल के दौरान उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 80 नामों की सिफारिश की थी, जिनमें से 45 न्यायाधीश नियुक्त किए गए हैं और शेष प्रस्ताव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।

आंकड़े बताते हैं कि 1 अगस्त तक देशभर के 25 उच्च न्यायालयों में 455 पद खाली थे। जबकि, कुल पदों की संख्या 1098 है। इस लिहाज से देखा जाए, तो करीब 41 फीसदी पद रिक्त हैं। दिल्ली, इलाहबाद, कलकत्ता, गुजरात, मध्य प्रदेश, पटना, पंजाब और हरियाणा, राजस्थआन और तेलंगाना न्यायाधीशों की कुल संख्या में से एक-तिहाई की कमी का सामना कर रहे हैं।

9 अगस्त को उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में खाली पद होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। साथ ही कोर्ट ने सरकार को चेतावनी भी दी थी। संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि अगर न्याय व्यवस्था के काम में ठहराव आ रहा है, तो आपके प्रशासन का काम भी रुक जाएगा। पीठ ने कहा था, ‘समय आ गया है कि आपको यह एहसास हो।’

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