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पाक में आतंकी ठिकाने

अब अमेरिका ने भी मान लिया है कि पाकिस्तान में आतंक की पाठशाला जारी है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आतंकवाद पर देशों की रिपोर्ट 2020 जारी की। वैसे इसमें कोई नई बात नहीं है, भारत तमाम अंतर्राष्ट्रीय मंचों से यह बात दोहराता रहा है कि क्षेत्र में आतंक फैलाने के मकसद से पाकिस्तान में कुख्यात आतंकवादियों के ठिकाने बने हुए हैं, जिनको सत्ता प्रतिष्ठानों, सेना व आईएसआई की मदद मिलती है। लेकिन फिलहाल चीन के पाले में गहरे तक घुस चुके और अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियानों को पलीता लगाने के चलते अमेरिका ने पाक से किनारा किया हुआ है।

अब जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति का एक साल का कार्यकाल पूरा होने को है, उन्होंने पाक प्रधानमंत्री को नजरअंदाज करते हुए एक बार भी फोन नहीं किया। सही मायनों में अफगानिस्तान के घटनाक्रम के बाद पाक की दुरभिसंधि की कलई दुनिया के सामने खुल गई। अब जाकर अमेरिका को अहसास हुआ कि पाक अमेरिका से मदद लेकर तालिबान को मजबूत करता रहा। इन हालात में अमेरिका ने भारत के उन आरोपों पर मोहर लगा दी है, जिसमें हम कहते थे कि पाक आतंकवादियों की उर्वरा भूमि है। बहरहाल, आतंकवाद पर अमेरिकी रिपोर्ट दुनिया के सामने पाक को बेनकाब करने के लिये काफी है जो उसके इस झूठ से पर्दा हटाता है कि वह आतंकवादी समूह पर नकेल कसने के लिये पर्याप्त कार्रवाई कर रहा है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र व अमेरिका द्वारा घोषित कुख्यात आतंकवादी पाक में हक्कानी नेटवर्क, लश्कर व जेईएम आदि संगठनों में बेरोक-टोक काम कर रहे हैं।

अब तक पाक आतंकवादियों को फंडिंग करने वाले देशों की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ को यह जताता रहा है कि वह आतंकवादियों की वित्तीय मदद रोकने के लिये कदम उठा रहा है, लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट ने सच सामने ला दिया है, जिससे पाक के एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने का खतरा बढ़ गया है। अमेरिकी रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भारतीय मूल के 66 लड़ाके शामिल हैं। साथ ही वर्ष 2020 के दौरान कोई भी विदेशी आतंकवादी लड़ाका भारत नहीं लौटा जो निस्संदेह देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिये बड़ी चुनौती है।

हालांकि, अमेरिका ने रिपोर्ट में कहा है कि एनआईए समेत कई भारतीय आतंकवाद-रोधी एजेंसियां सक्रियता से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आतंकवादी ताकतों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिये सराहनीय काम कर रही हैं। इसके बावजूद भारतीय एजेंसियों को अधिक चौकस रहने व राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी चार्टर को मजबूत बनाने की जरूरत है। भारत तमाम वैश्विक मंचों पर पाक में आतंकवादियों के ठिकाने होने की बात उठाता रहा है, लेकिन पाक पर नकेल डालने की गंभीर कोशिश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं हुई है। बहरहाल, अमेरिका ने कहा है कि वह भारत सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी जारी रखेगा। इसके अंतर्गत द्विपक्षीय संबंधों के जरिये आतंकवाद-रोधी संयुक्त कार्यबल को मजबूती प्रदान की जा रही है।

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