गणेश गोदियाल का ट्विटर एक्टिव हुआ, लेकिन ‘लॉक’ क्यों हुआ था?
देहरादून। उत्तराखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का ट्विटर अकाउंट अगर आप चेक करेंगे तो मंगलवार को कुछ सिलसिलेवार ट्वीट्स दिखाई देंगे और इससे पहले सीधे 8 अगस्त यानी रविवार के। क्या सोमवार को गोदियाल ने ट्विटर से छुट्टी ली थी? इस सवाल का जवाब है, नहीं। सोमवार को उन्होंने जो ट्वीट्स किए थे, उसके बाद उनका ट्विटर अकाउंट ‘सस्पेंड’ कर दिया गया था। गोदियाल को ट्विटर की तरफ से नोटिफिकेशन मिला था कि वह अगर अपना ट्विटर अकाउंट फिर शुरू करना चाहते हैं, तो कुछ आपत्तिजनक ट्वीट्स हटाएं। इस पूरी कवायद के बाद गोदियाल ने सियासी साज़िश का संकेत देकर कहा कि उनकी आवाज़ दबेगी नहीं।
उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी हाल में संभालने वाले गणेश गोदियाल ने सोमवार देर रात अपने फेसबुक अकाउंट पर सूचना देते हुए लिखा कि उनका ‘ट्विटर अकाउंट अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया’। इस पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए साफ शब्दों में उन्होंने यह भी लिखा, ‘मैं अपने लोगों के लिए आवाज़ उठाता रहूंगा।’ इसके बाद उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर ट्विटर सस्पेंशन को राजनीतिक विद्वेष के चलते की गई कार्रवाई बताना शुरू कर दिया। इसके बाद मंगलवार को गोदियाल का ट्विटर फिर शुरू हुआ।
गणेश गोदियाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इस तरह ट्विटर अकाउंट बंद किए जाने की सूचना दी।
नेशनल कांग्रेस और पौड़ी के कार्यक्रमों के चित्र
मंगलवार को जब गोदियाल का ट्विटर फिर चालू हुआ तो उन्होंने सिलसिलेवार कुछ तस्वीरें और संदेश ट्वीट किए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की बैठक में हिस्सा लेने की तस्वीर के साथ ही पौड़ी क्षेत्र और श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं संबंधी कुछ तस्वीरें ट्वीट कीं। गोदियाल ने लिखा कि यहां कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी जॉइन की और इन क्षेत्रों में उनके स्वागत के लिए भारी जनसैलाब उमड़ा, जो जनसमर्थन का सबूत है।
क्यों लॉक हुआ अकाउंट और क्या हैं आरोप?
कांग्रेस की मीडिया कॉर्डिनेटर ने गोदियाल के ट्विटर के बहाल होने की पुष्टि की, लेकिन इस घटना से राज्य की सियासत गर्मा गई। गोदियाल के ट्विटर के बहाल होने के बाद सोमवार को किए गए ट्वीट्स गायब दिखे। बताया गया कि ‘मैं भी राहुल’ कैंपेन से जुड़े ट्वीट्स किए जाने के बाद उनका अकाउंट लॉक करने की कवायद हुई। इस पूरे मामले को गोदियाल आवाज़ दबाने की कोशिश के तौर पर पेश कर रहे हैं, तो उनके समर्थक इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर चोट बता रहे हैं।
.
.