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बाल ठाकरे के जमाने से है नारायण राणे और उद्धव में अदावत, निकाय चुनाव पर पड़ सकता है असर

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार किए गए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार रात रायगढ़ जिले में महाड की एक अदालत ने जमानत दे दी। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री राणे की टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र में उनके खिलाफ चार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। उन्हें रत्नागिरि पुलिस ने मंगलवार को दोपहर बाद गिरफ्तार किया था और फिर उन्हें महाड ले जाया गया। आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर राणे और ठाकरे के बीच इतनी कड़वाहट क्यों है और मौजूदा स्थिति का आगामी निकाय चुनावों पर क्या असर पड़ेगा।

69 वर्षीय नारायण राणे ने शिवसेना में एक ‘शाखा प्रमुख’ के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और साल 1999 में पहली शिवसेना-भाजपा सरकार में आठ महीने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इसी दौरान शिवसेना ने मनोहर जोशी को सीएम बना दिया। साल 2003 में, जब शिवसेना ने महाबलेश्वर में सम्मेलन में उद्धव ठाकरे को पार्टी के ‘कार्यकारी अध्यक्ष’ के रूप में नामित किया, तो राणे ने इस कदम का विरोध किया और उद्धव के नेतृत्व को चुनौती दी।

इसके बाद साल 2005 में राणे पर पार्टी में पद और टिकटों को बेचने का आरोप लगने के बाद उन्हें ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने पार्टी से निष्कासित कर दिया।

… जब कांग्रेस में शामिल हो गए राणे
इसके तुरंत बाद, राणे दर्जनों विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि, लगभग 40 विधायकों को अपने साथ लेकर शिवसेना को विभाजित करने के उनके प्रयास को शिवसेना ने विफल कर दिया। साल 2017 में राणे ने यह कहते हुए कांग्रेस छोड़ दी कि पार्टी में कोई गुंजाइश नहीं है और उन्होंने अपना खुद का संगठन, महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाया। बाद में, उन्होंने भाजपा को समर्थन की घोषणा की और राज्यसभा के लिए चुने गए और साल 2019 में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।

राणे को शिवसेना पर खासकर ठाकरे परिवार पर तीखे हमले करने के लिए जाना जाता है। राणे ने शिवसेना के संरक्षक बालासाहेब ठाकरे की आलोचना नहीं की, लेकिन उद्धव ठाकरे पर उन्होंने लगातार निशाना साधा। इतने सालों में उन्होंने उद्धव की पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य पर भी कटाक्ष किया।

राणे ने क्या कहा था?
राणे ने दावा किया था कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यह भूल गए कि देश की आजादी को कितने साल हुए हैं। राणे ने रायगढ़ जिले में सोमवार को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। भाषण के दौरान वह पीछे मुड़कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता। ’

इस बयान को ठाकरे के खिलाफ एक व्यक्तिगत हमले के रूप में देखा गया। इसके बाद शिवसेना नेतृत्व ने FIR दर्ज कराई। राणे के खिलाफ सोमवार को रायगढ़, पुणे और नासिक जिलों में कम से कम 4 एफआईआर दर्ज की गई। हाल ही में, बाढ़ प्रभावित कोंकण क्षेत्र की यात्रा के दौरान राणे ने राज्य में आपदाओं के लिए उद्धव ठाकरे के ‘दुर्भाग्य’ को जिम्मेदार ठहराया था।

राणे महाराष्ट्र के उन चार केंद्रीय मंत्रियों में से एक हैं जिन्हें पिछले महीने कैबिनेट विस्तार के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल किया गया था। राणे, भारती पवार, भागवत कराड और कपिल पाटिल सहित चारों को जनशिर्वाद यात्रा आयोजित करने के लिए कहा गया है।

निकाय चुनाव पड़ेगा असर?
मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई के नगर निकायों सहित एक दर्जन से अधिक नगर निगमों में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं। इस यात्रा को भाजपा का शुरआती प्रचार अभियान माना जा रहा है। माना जा रहा है कि राणे को बृहन्मुंबई नगर निगम से शिवसेना की सत्ता हटाने के लिए अगुवा बनाया गया है। उद्धव ठाकरे के एक कटु प्रतिद्वंद्वी राणे ने मुंबई में शिवाजी पार्क में बाल ठाकरे स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करके अपनी जनशिर्वाद यात्रा शुरू करके शिवसेना पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा अगले साल की शुरुआत में होने वाले मुंबई निकाय चुनाव में जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा, ‘भाजपा सत्ता में वापसी करेगी। हम बीएमसी में शिवसेना के तीन दशक के शासन का अंत करेंगे। ’

शिवसेना और ठाकरे परिवार पर नारायण राणे के हमले से बीजेपी को फायदे और नुकसान दोनों हैं। सूत्रों ने कहा कि यह कोंकण क्षेत्र से बड़ी आबादी वाले इलाकों में अगले साल की शुरुआत में बीएमसी चुनावों में भाजपा को शिवसेना का मुकाबला करने में मदद करेगा।

‘हम सैनिक सड़क की लड़ाई जानते हैं’
हालांकि, शिवसेना नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ राणे की अभद्र भाषा भाजपा के लिए अच्छी साबित नहीं होगी। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक नेता ने कहा- ‘राज्य के लोगों ने देखा है कि कैसे उद्धव ठाकरे कोविड समेत अन्य आपदाओं को धैर्य के साथ बिना कोई शोर किए संभाला। राज्य के लोग उद्धव ठाकरे को अपने परिवार के सदस्य के रूप में मानते हैं। ’

रिपोर्ट के अनुसार नेता ने कहा कि विवादास्पद बयान देने के अलावा राणे का बीएमसी चुनावों में जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा- ‘2015 में राणे ने बांद्रा (पूर्व) विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा और शिवसेना से हार गए। हमने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है। ’

एक अन्य नेता ने कहा कि शिवसेना और उसके कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं, लेकिन राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ‘हाल की घटनाओं ने पार्टी कैडर को भाजपा के खिलाफ विरोध के जरिए भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मजबूर किया। जब राजनीति में सड़क पर लड़ाई की बात आती है तो सैनिक हमेशा आगे रहते हैं। ’

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