Saturday, September 30, 2023
Home ब्लॉग दौलत उगाते किसान को भी समृद्ध कीजिए

दौलत उगाते किसान को भी समृद्ध कीजिए

देविंदर शर्मा

हमें बखूबी पता है कि कोविड महामारी के मायूसी भरे दिनों में कृषि संकटमोचक बनी। इतना ही नहीं, लॉकडाउन के दौरान परिवारों को भोजन की लगातार आपूर्ति भी होती रही और जो लोग खरीदने लायक नहीं थे, उनको मुफ्त राशन भी मिला और इस खेती ने ही अर्थव्यवस्था के पहिए चलाए रखे। ऐसे वक्त पर, जब वित्तीय वर्ष 2020 की पहली तिमाही में आर्थिकी 23.9 प्रतिशत नीचे फिसली थी, जबकि 3.4 फीसदी का सकल मूल्य संवर्धन अर्जित कर कृषि ही एकमात्र चमकता बिंदु रही।
पूरे वर्ष के दौरान खेती ने ठोस आधार प्रदान किए रखा। कोविड-19 से पैदा हुए व्यवधानों के बावजूद, जब आर्थिकी के तमाम अन्य क्षेत्र संघर्ष में फंसे थे और आशान्वित करती संभावना की शिद्दत से जरूरत थी, ऐसे में कृषि ने 3.08 करोड़ टन खाद्यान्न पैदा कर रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज करवाया। 2020-21 की यह बंपर उपज पिछले फसल चक्र की बनिस्बत 1.15 करोड़ टन ज्यादा थी। यही नहीं, देश में 32.9 करोड़ टन फल, सब्जियां, सुगंधित फूल, मसालों के अलावा 20.4 करोड़ टन दूध और 3.61 करोड़ टन तिलहन का उत्पादन भी हुआ।
सरल शब्दों मे कहें तो किसान ने देश के लिए दौलत उगाई। यह न सिर्फ महामारी के दौरान हुआ बल्कि साल-दर-साल हो रहा है। यह बात काबिलेतारीफ है कि कृषकों की कड़ी मेहनत से हमारी मेजों तक भोजन पहुंच पाता है। बात ज्यादा पुरानी नहीं है। 1960 के दशक तक भी आलम यह था कि भारतवासियों को दो जून की रोटी के लाले पड़े रहते थे। लेकिन बलिहारी जाएं किसानों पर, जिन्होंने देश को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बना डाला और इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता। कृषि ने बड़ी कुलांचे भरी और खाद्यान्न उत्पादकता में वर्ष 1950-51 के मुकाबले 2020-21 तक 6 गुणा लंबी छलांग लगाई है।

एक जीवंत खेती वह होती है जो बढ़ती आर्थिक तरक्की के साथ बढ़े। लेकिन यह यकीन करना कि केवल आर्थिक प्रगति के सहारे भूख और कुपोषण की समस्या को हल किया जा सकता है तो यह एक वहम है। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने खुद माना है कि बेशक आर्थिक विकास जरूरी है लेकिन यह अपने आप में भूख और कुपोषण घटाने में गति नहीं ला सकता। ‘द लांसेटÓ विज्ञान पत्रिका में छपे एक अध्ययन के मुताबिक विकासशील देशों में आर्थिक विकास दर में 10 फीसदी का इजाफा होने पर भी कुपोषण में ज्यादा से ज्यादा 6 फीसदी की कमी हो पाई है। वहीं दूसरी ओर वे देश जिनके नागरिकों को अच्छी खुराक मुहैया है, वहां कुशल और उत्पादक श्रमशक्ति बनती है जो कि उच्च आर्थिक विकास पाने को जरूरी है।
वर्ष 1950-51 से लेकर यदि जनसंख्या वृद्धि के हिसाब से देखें तो भारत की आबादी लगभग 4 गुणा बढ़ी है, जो 35.9 करोड़ से 140 करोड़ तक पहुंच गई है। लेकिन भारतीय कृषि ने न केवल जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले अपनी रफ्तार कायम रखी बल्कि ‘माल्थुसियन कैटास्ट्रोफ नामक सिद्धांत (उपज से कहीं ज्यादा खाने वाले मुंह) को इस कदर गलत सिद्ध कर दिया कि कल्पनातीत अतिरिक्त अनाज पैदा कर दिखाया। यह इजाफा सिर्फ देश का पेट भरने लायक अन्न पैदा करने तक सीमित नहीं था, इसके अलावा फल, सब्जियां और दूध में प्रति व्यक्ति हुई बढ़ोतरी ने कुपोषण और अपरोक्ष भुखमरी को कम करने में काफी मदद की है। हालांकि भुखमरी आज भी देश के कुछ भागों में व्याप्त है, लेकिन इसके पीछे का कारण खाद्यान्न उत्पादन में कमी न होकर वंचितों तक पंहुच और वितरण की जुड़वां खामियां है।
यदि प्रगति और सपन्नता एडम स्मिथ के मौलिक अध्ययन का मुख्य केंद्र बिंदु था, जो कि राष्ट्रों की अमीरी के पीछे के कारणों और प्रकृति को लेकर था तो यह मानना पड़ेगा कि भारतीय कृषि में हुआ उल्लेखनीय परिवर्तन वह है जिसने न केवल देश की दौलत में योगदान दिया बल्कि इसमें इजाफा किया है। आज आवश्यक भोजन जैसे कि गेहूं, चावल, फल, दूध और दालों के उत्पादन में भारत दुनियाभर में दूसरे पायदान पर है, यह तमाम रिकॉर्ड उपलब्धियां भारतीय किसानों द्वारा भरी गई बड़ी कुलांचे दर्शाता है, तथापि यह प्राप्ति उनके लिए ऊंची आमदनी में तबदील न हो पाई। इस मामले में वृद्धि खेती की समृद्धि नहीं बन पाई।

जिस अदृश्य हाथ का उल्लेख एडम स्मिथ ने किया है, वह दरअसल किसान को गुजारे लायक आमदनी देने तक में असफल रहा है। यह त्रासदी केवल भारत की नहीं बल्कि दुनियाभर की है। किसानी से होने वाली आमदनी साल-दर-साल कैसे सिकुड़ती गई, कैसे मुक्त मंडियों ने कृषकों की कमाई हड़प ली है, यह जानने के लिए किसी परिष्कृत अर्थशास्त्र ज्ञान की जरूरत नहीं है। इसकी बजाय, जैसा कि इस साल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता ने अपने लेख में स्वयं कबूल किया है ‘कारण और प्रभाव का निष्कर्ष नैसर्गिक प्रयोगों से निकाला जा सकता है।Ó इस कथन से सहमत होते हुए मुझे लगता है कि जब आसानी से उपलब्ध साक्षात सबूतों के जरिए निष्कर्ष निकाला जा सकता है तो इसके लिए अर्थशास्त्रियों को जटिल अर्थ-समीकरण वाले अध्ययन करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

खाद्य एवं कृषि संगठन के वर्ष 2008 के आकलन के मुताबिक (रिपोर्ट मार्च, 2021 में जारी की गई है) भारत के खाद्यान्न उपज का मूल्य लगभग 28,98,02,032 मिलियन डॉलर था, वहीं सकल कृषि उत्पादों की कीमत 40,07,22,025 मिलियन डॉलर रही है। इस मामले में चीन (418541343 मिलियन डॉलर) के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। अब इससे पहले कि आप इन आंकड़ों की भूलभुलैया में खो जाएं, यहां पर गौर करना बहुत महत्वपूर्ण है कि किसानों ने इतना हैरतअंगेज सरमाया पैदा किया है और कृषि क्षेत्र कुल मिलाकर कितनी कीमत का उत्पादन करता है। दूसरे शब्दों में किसान दौलत उगाने वाला है।

इसलिए आर्थिक नीतिकारों को अपनी सोच में तबदीली लाने की जरूरत है, वह जिन्हें रिवायती तौर पर यही यकीन रहा है कि केवल व्यापार-धंधे (बड़े हों या छोटे) सिर्फ दौलत बनाते हैं। जिस किस्म की आर्थिक असमानता आज व्याप्त है, वह इसी पुरानी पड़ चुकी आर्थिक सोच का नतीजा है। वरना, मुझे कोई कारण समझ नहीं आता कि ऐसे समय पर, जब वर्ष 1999 के बाद से सकल कृषि उत्पादों की वार्षिक वृद्धि दर 8.25 प्रतिशत रही है, तो फिर आमदनी में किसान सबसे निचले पायदान पर कैसे हो सकता है। अमेरिका में भी वर्ष 2018 में कृषि उत्पादों से होने वाली आय में किसान के हिस्से आने वाला अंश घटकर महज 8 फीसदी रह गया है। भारत में, सिचुएशन एसेस्मेंट सर्वे की नवीनतम रिपोर्ट में खेती से कृषक परिवार की रोजाना आय सिर्फ 27 रुपये आंकी गई है।

यह दिखाने को काफी सबूत हैं कि मुक्त मंडी व्यवस्था ने दुनियाभर में कृषि-आय को किस कदर उजाड़ा है। इसको बदलना होगा। यह तभी संभव है जब हम किसान को मूलत: सिर्फ एक ‘उगाने वालेÓ की तरह न लेकर ‘दौलत पैदा करने वालाÓ मानें, ताकि समृद्धि लाने में उनके योगदान को माकूल कीमत मिल पाए। विश्वभर में खेती से आजीविका चलाने वालों को जिलाए रखने, दौलत पैदा करने में उनकी भूमिका को सम्मान देने के लिए, ऐसी व्यवस्था बनानी पड़ेगी जो किसानों को जिंस का आश्वासित और मुनाफादायक मूल्य की गारंटी सुनिश्चित करे।

RELATED ARTICLES

मेडिकल पढ़ाई की गुणवत्ता क्या रह गई?

अजीत द्विवेदी वैसे तो पिछले कुछ समय से जीवन के हर क्षेत्र में गिरावट आ रही है। हर चीज की गुणवत्ता खराब हो रही है।...

समान नागरिक संहिता पर क्या हो रहा है?

क्या केंद्र सरकार जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कमेटी की सिफारिशों के आधार पर देश में समान नागरिक कानून लागू करेगी? इस मामले की क्रोनोलॉजी...

मोदी की बेफिक्री या गणित?

हरिशंकर व्यास समझ नहीं आता कि कनाडा में जांच के गंभीर रूप लेने की भनक या खबर और खुद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से बातचीत के...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

स्वास्थ्य सचिव ने पौड़ी के कई अस्पतालों की खामियों पर लगाई फटकार

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण, पाबौ- पैठाणी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिरपालीसैण का किया निरीक्षण पौड़ी। स्वास्थ्य सुविधाओं और डेंगू महाअभियान की जमीनी हकीकत जानने स्वास्थ्य सचिव...

यू.के. भ्रमण रहा सफल, 12500 करोड़ रूपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों पर हुआ करार- सीएम धामी

मुख्यमंत्री कार्यालय में एक उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल बनाया जायेगा- सीएम ब्रिटेन के पर्यटन मंत्री के साथ बैठक में उत्तराखण्ड और ब्रिटेन के बीच पर्यटकों की...

भारत से मोबाइल फोन निर्यात 45,000 करोड़ रुपये के पार, ये कंपनी सबसे आगे

नई दिल्ली। मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देते हुए, भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त की अवधि के बीच 5.5 बिलियन डॉलर (45,000...

उत्तराखंड वन विभाग को जंगलों की सुरक्षा के लिए मिले 100 नए वनकर्मी

देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग को शुक्रवार को 100 नए वनकर्मी मिल गए, जो कि जंगलों की सुरक्षा में जुटेंगे। इसमें 77 सिपाही और 23 दारोगा...

टमाटर से बनाएं ये 5 फेस मास्क, त्वचा संबंधित कई समस्याओं से मिलेगा छुटकारा

टमाटर विटामिन ए, के और सी, आयरन, मैग्नीशियम, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इस कारण टमाटर से बने...

पेपर लीक प्रकरण के बाद फिर से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कराएगा समूह-ग की 23 भर्तियां

देहरादून। पेपर लीक प्रकरण के दौरान हाथ से छीनी गई समूह-ग की 23 भर्तियों को अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ही कराएगा। ये भर्तियां...

एशियाई खेल- भारतीय निशानेबाजों ने किया शानदार प्रदर्शन, भारत के खाते में जोड़े चार पदक

नई दिल्ली। एशियाई खेलों का छठे दिन शुक्रवार (29 सितंबर) को भारतीय निशानेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। महिला और पुरुष खिलाड़ियों ने मिलकर चार पदक...

आज से शुरु हुआ श्राद्ध पक्ष, यहां पढ़े कब, कैसे और किस तिथि को करें अपने पूर्वजों का श्राद्ध

देहरादून। पूर्वजों के प्रति सम्मान व श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध पक्ष आज से शुरू हो रहा है। पूर्णिमा व प्रतिपदा श्राद्ध आज ही होंगे। इसके...

सलमान खान की टाइगर 3 का धमाकेदार टीजर हुआ रिलीज

जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस देख उड़ जाएंगे होश सलमान खान और कैटरीना कैफ स्टारर फिल्म ‘टाइगर 3’ का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं...

दो युवकों के शव मिलने के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा

डीसी ऑफिस में की तोडफ़ोड़, गाडियां भी फूंकी इंफाल। जुलाई में लापता हुए दो युवकों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद...

Recent Comments