उत्तराखंड

उत्तराखंड में सरकारी विभागों की ढिलाई से केंद्रीय योजनाओं का करोड़ों रुपये हर साल करना पड़ रहा सरेंडर

देहरादून। आर्थिक चुनौतियों के बीच जब राज्य सरकार पर आय के संसाधन बढ़ाने का दबाव है, ऐसे में केंद्र पोषित योजनाओं में धनराशि का पूरा उपयोग न हो पाना प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चिंता की वजह है। सरकारी विभागों की ढिलाई की वजह से केंद्रीय योजनाओं का करोड़ों रुपये हर साल सरेंडर करना पड़ रहा है। वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में ही केंद्र पोषित योजनाओं में मंजूर हो चुकी धनराशि में 3800 करोड़ रुपये विभागीय लापरवाही की वजह से सरेंडर करने पड़े। जीएसटी मुआवजा बंद होने के बाद राज्य सरकार को सालाना पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान होना तय माना जा रहा है। ऐसे में राज्य के पास अपने संसाधनों से विकास कार्यों की निरंतरता को बनाए रखना सहज नहीं माना जा रहा है। इस वजह से केंद्र पोषित और वाह्य सहायतित योजनाओं पर राज्य सरकार की निर्भरता का दबाव और ज्यादा बढ़ गया है। वह केंद्र से ज्यादा से ज्यादा वित्तीय इमदाद हासिल करना चाहती है। लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत केंद्रीय योजनाओं को क्रियान्वयन विभागों की सुस्त कार्यप्रणाली है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार ने केंद्र पोषित मद में 14302 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया था। इसके एवज में उसे 9686 करोड़ प्राप्त हुए। लेकिन विभाग इतनी धनराशि की स्वीकृति के बावजूद 7658 करोड़ की खर्च कर सके। वित्तीय वर्ष समाप्ति पर विभागों को करीब दो हजार करोड़ से अधिक की धनराशि समर्पित (सरेंडर) करनी पड़ी। यानी इस धनराशि का उस वित्तीय वर्ष में उपयोग नहीं हो पाया। पिछले कई वर्षों से यही ढर्रा चला आ रहा है, जिसे अब बदलने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले ही सभी प्रशासनिक सचिवों को ताकीद किया था कि वे केंद्र पोषित योजनाओं के शत-प्रतिशत उपयोग के लिए रोडमैप बनाएं। वित्त विभाग की ओर से भी विभागों को लगातार दिशा-निर्देश जारी हो रहे हैं।

अपर मुख्य सचिव, वित्त आनंद बर्द्धन, ने कहा प्रदेश सरकार केंद्र पोषित योजनाओं और वाह्य सहायतित योजनाओं का भरपूर उपयोग करने पर जोर है। विभागों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। उन्हें समय पर प्रस्ताव बनाने, उनका लगातार फॉलोअप करने और उपयोग में लाई गई धनराशि का समय पर यूसी दिया जाए ताकि शेष किस्त की धनराशि समय पर स्वीकृत हो सके।

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