सीडीएस बिपिन रावत, जिनके शौर्य से घबराते थे चीन और पाकिस्तान, उनके असमय जाने से शोक में डूबा हिन्दुस्तान
उत्तराखंड विधानसभा में अर्पित की गई श्रद्धांजलि
देहरादून। सीडीएस जनरल बिपिन रावत के युद्ध कौशल से चीन और पाकिस्तान घबराते थे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी के किस्से सदियों तक लोगों के जेहन में रहेंगे। गुरुवार को बिपिन रावत के गृह राज्य में उत्तराखंड में हर कोई दुखी था। शोक सभाओं को दौर जारी था। उत्तराखंड के कई इलाकों में बाजार बंद रखे गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत सभी मंत्री, विधायकों और राजनीतिक दलों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। इस दौरान लोग भावुक दिखाई दिए। सीडीएस रावत के निधन को राज्य और देश की बड़ी क्षति करार दिया। देहरादून स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में, श्रीनगर गढ़वाल विवि में, कोटद्वार, उत्तरकाशी और पौड़ी सहित पूरे राज्य में सीडीएस स्व. बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी गई। उनके पैतृक गांव में भी शोक सभा का आयोजन किया गया। जहां आसपास के गांव के लोग भी पहुंचे।
वहीं उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरू हो गया है। आज पहले दिन सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद मुख्यमंत्री दिल्ली रवाना हो गए। वह दिल्ली में जनरल बिपिन रावत की अंत्येष्टि में शामिल होंगे। सत्र का पहला दिन सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन पर शोक संवेदना और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समर्पित रहा। इस क्रम में शीतकालीन सत्र के प्रथम दिवस पर आज सदन में प्रवेश करने से पूर्व उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व अन्य मंत्री विधायकों ने जनरल बिपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। इसके अलावा सत्र की अवधि एक दिन बढ़ाई गई है। 11 दिसंबर को भी सदन संचालित किया जाएगा। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सदन की कार्यवाही का एजेंडा तय किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पहले दिन श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर समिति के सदस्यों ने सहमति प्रकट की। बुधवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में स्पीकर अग्रवाल की अध्यक्षता में दलीय नेताओं और कार्य मंत्रणा की बैठक में निर्णय लिया गया कि शोक संवेदना के साथ ही सदन पूरे दिन के लिए स्थगित रहेगा। सदन की गैलरी में सभी सदस्यों की ओर से स्व.विपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। पहले दिन शोक संवेदना व्यक्त कर सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और भारतीय सेना के अधिकारियों व सैनिकों की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु बेहद दुखद और पीड़ादायी है। जनरल रावत के निधन से देश ने वीर सपूत खो दिया। वह भारत राष्ट्र और उत्तराखंड के गौरव थे। गुरुवार को सदन में जनरल रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन पर प्रदेश में तीन दिन (9 से 11 दिसंबर) का राजकीय शोक घोषित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड निवासी सीडीएस जनरल रावत अपनी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रम, अदम्य साहस व शौर्य के बल पर सेना के सर्वाेच्च पद पर पहुंचे। जनरल रावत ने देश की सुरक्षा व्यवस्था और भारतीय सेना को नई दिशा दी। सीमाओं की सुरक्षा और देश की रक्षा के लिए उनके द्वारा कई साहसिक निर्णय लिए गए। साथ ही सैन्य बलों के मनोबल को हमेशा ऊंचा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल रावत के आकस्मिक निधन से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश की अपूरणीय क्षति हुई है। हम सबको अपने इस महान सपूत पर हमेशा गर्व रहेगा। उन्होंने दुर्घटना में दिवंगतों की आत्मा की शांति और शोक संतप्त स्वजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत जवाबी कार्रवाई के एक्सपर्ट थे। सैम मानेक शॉ के बाद वह दूसरे ऐसे जनरल थे जो युद्ध रणनीति में माहिर थे और स्वयं युद्ध क्षेत्रों में पहुंचते थे। उनके रणनीतिक कौशल के चलते चीन और पाकिस्तान की सेनाएं भी उनसे घबराती थीं। यह कहना है कि सेना के ले. कर्नल (रिटायर्ड) एसपी गुलेरिया का। कर्नल गुलेरिया ने कहा कि चीन ने भूटान और सिक्किम के बॉर्डर पर गतिविधियां बढ़ाईं लेकिन जनरल बिपिन रावत की रणनीति ने चीन को भूटान के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से रोके रखा।
सीमा पर चल रहीं गतिविधियों को रोकने के लिए उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक भी कराई। मेजर जनरल रहने के दौरान यूएनओ में शांति सेना का भी उन्होंने नेतृत्व किया था। उनका युद्ध करने का जो तरीका था, वह अपने आप में अनूठा था। वे दुर्गम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध का विशेष अनुभव रखते थे। सेनाध्यक्ष रहने के दौरान उन्हीं की रणनीति से पाकिस्तान की सीमा से घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई और सीमा पर जवानों की मौतों में कमी आई। उनके अनुभव और कौशल से ही पाकिस्तान और चीन को डर था कि उनकी सेनाएं जनरल बिपिन की रणनीति के सामने नहीं टिक पाएंगी।
कर्नल गुलेरिया ने कहा कि जनरल रावत ने सुरक्षा के क्षेत्र में देश के लिए बहुत कुछ किया। उनका निधन देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। देश को उनकी कमी हमेशा खलेगी। सीडीएस जनरल बिपिन रावत वर्ष 2017 में थल सेनाध्यक्ष रहने के दौरान सीमांत पिथौरागढ़ जिले में भी आए थे। तब उन्होंने पूर्व सैनिकों की समस्याओं को भी सुना था और उन्हें समस्याओं के समाधान करने का भरोसा भी दिया था। सेना ब्रिगेड में अधिकारी, जवानों और सेवानिवृत्त सैनिकों को संबोधित करने के दौरान उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं का पूरा ध्यान रखने का आश्वासन दिया था। उन्होंने इसके लिए सेना के अधिकारियों को भी पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों से पूरा मेल-मिलाप रखने के निर्देश दिए थे।