ब्लॉग

हादसों के आशियाने

गुरुग्राम में एक बहुमंजिला इमारत में दोषपूर्ण निर्माण तकनीक व घटिया सामग्री के चलते जन-धन की जो क्षति हुई है, उसने ऐसी इमारतों में रहने वाले लोगों को भय से भर दिया। घटना ने बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करने वाले बिल्डरों की साख को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। गुरुग्राम स्थित 18 मंजिला चिंटल्स पैराडिसो सोसायटी की छठी मंजिल की बैठक की छत ऐसी गिरी कि उसका वजन नीचे की मंजिलें सहन नहीं कर पायीं। वे एक-एक करके गिरती चली गईं, जिसमें जानमाल का नुकसान हुआ। कई घर मलबे में तब्दील हो गये और कई क्षतिग्रस्त हो गये। स्वप्निल लोक के आकर्षक विज्ञापनों से खरीददारों को ललचाने वाले बिल्डरों की हकीकत इस हादसे में बेनकाब हो गई। निश्चित रूप से जीवन की जमा पूंजी व बैंकों आदि से लोन लेकर सुकून के लिये आशियाना खरीदने वाले लोग अब भयभीत होंगे। निर्माण की गुणवत्ता ने उनके मन में आशंका भर दी है कि कहीं भविष्य में किसी हादसे की पुनरावृत्ति न हो जाये। यह इमारत ही नहीं, देश के तमाम महानगरों में बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोग इस हादसे के बाद आतंकित होंगे कि कहीं उन्हें भी ऐसी स्थितियों से न गुजरना पड़े।

निस्संदेह निर्माण सामग्री की गुणवत्ता का संदेह उन्हें परेशान करता है। हकीकत भी है कि जिन विभागों के पास इन बहुमंजिला इमारतों के निर्माण सामग्री व डिजाइन की गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी है, वे आपराधिक चुप्पी ओढक़र खामोश हो जाते हैं। अक्सर इन बहुमंजिला फ्लैटों में घर के खरीददार मकान में दरार आने, संरचना में खोट या पाइप लीक होने जैसी शिकायतें करते रहते हैं। अब हादसे के बाद चिंटल्स पैराडिसो के बिल्डर को गिरफ्तार किया गया है। काश! इस मामले में तब कार्रवाई की गई होती जब कुछ महीने पहले इमारत में रहने वाले लोगों ने एक बालकनी के एक हिस्से के टूटने की शिकायत की थी। बिल्डर ने नये सिरे से गुणवत्ता की खामियों पर समय रहते ध्यान दिया होता तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।

निस्संदेह, इस हादसे के बाद तमाम ऐसी बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोगों की नींद उड़ गई होगी। अब उनकी आकांक्षा होगी कि उनके टावरों की सभी संरचनाओं की गुणवत्ता की सख्ती से जांच की जाये। साथ ही इन निर्माण कार्यों से जुड़ी नियामक संस्थाओं की जवाबदेही बनती है कि सभी आवासीय व वाणिज्यिक इमारतों में संरचना गुणवत्ता की नये सिरे से जांच की जाये। इसके अलावा खरीददारों की जान जोखिम में डालने वाले बिल्डरों के लिये सख्त दंड का भी प्रावधान हो। निस्संदेह यह मुनाफाखोर बिल्डरों व संदिग्ध अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होने का पहला मामला नहीं है। अतीत में यदि सख्त दंड की नजीर पेश की गई होती तो ऐसे हादसे दुबारा नहीं होते। हादसे के बाद कुछ समय तक मामले के गर्म रहने के बाद प्रकरण को ठंडे बस्ते में डालने की पुनरावृत्ति भी नहीं होनी चाहिए। हालांकि, हरियाणा सरकार ने मामले की जांच की बात कही है, लेकिन जांच को तार्किक परिणति तक पहुंचाने की भी जरूरत है।

सवाल यह भी है कि बहुमंजिला भवनों के निर्माण में गुणवत्ता की जांच करने वाले महकमों की जिम्मेदारी कैसे तय की जाये ताकि भवनों के डिजाइन, तकनीक व निर्माण सामग्री मानकों पर खरे उतर सकें। साथ ही बहुमंजिला रिहायशी इमारतों के नक्शे पास करने, मंजिलों के निर्धारण, निर्माण सामग्री व सुरक्षा से जुड़े तमाम पहलुओं के राष्ट्रीय मानकों को सख्त बनाने की जरूरत भी है। राष्ट्रीय राजधानी व अन्य महानगरों में बहुमंजिला इमारत बनाने वाली चिंटल्स पैराडिसो के गुणवत्ता मानकों का ये आलम है तो शेष देश में निर्माण कार्य की गुणवत्ता की क्या हालत होगी, सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उपभोक्ता संगठन भी सजग हों ताकि चमकीले विज्ञापनों में दर्शायी खूबियों के बजाय निर्माण की गुणवत्ता की परख हो। साथ ही कायदे-कानून ताक पर रखने वाले बिल्डरों की अनदेखी करने वाले जवाबदेह अधिकारियों पर भी शिकंजा कसने की जरूरत है। आखिर कब तक काहिल तंत्र लोगों की जान जोखिम में डालकर बिल्डरों को मनमानी की छूट देता रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *