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आयुष्मान भारत ने बदली स्वास्थ्य देखभाल सेवा की तस्वीर

डॉ आर एस शर्मा

भारत के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य देखभाल को विश्व-स्तरीय बनाने के ध्येय से 2017 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) को अंगीकार किया था। इसे अंगीकार करते समय सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह उभरकर आया था कि किस तरह भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को तीव्रता से प्राप्त करे। भूत में भारत में स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति पर अंतर्दृष्टि डालने पर यह साफ-साफ दिख रहा था कि स्वास्थ्य देखभाल की लागत पर होने वाले खर्चों के कारण आम आदमी की क्रय शक्ति प्रभावित हो रही है, अत: इन खर्चो को कम करना भी एनएचपी के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल था। उपरोक्त कारणों की पृष्ठभूमि में ही आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री – जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जय) की परिकल्पना की गई ताकि स्वास्थ्य सेवा वितरण को समग्र दृष्टिकोण के साथ तीव्रता प्रदान की जा सके और देश के अंतिम जन की पहुंच किफायती एवं गुणवत्ता-युक्त स्वास्थ्य सेवाओं तक सुलभता से हो सके।

ऐसा नहीं है कि आयुष्मान भारत पीएम-जय स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में देश का पहला प्रयास था बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई), राज्यों की योजनाओं जैसे आंध्र प्रदेश में आरोग्यश्री, महाराष्ट्र में जीवनदायी योजना जैसी पूर्ववर्ती योजनाओं को भी भरपुर श्रेय दिया जाना चाहिए। वर्तमान में यह भी सच है कि एबी पीएम-जय ने स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन के क्षेत्र में बाकी तमाम हितधारकों को पीछे छोड़ते हुए एक बड़ा मुकाम हासिल किया है।
इसके विस्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में आयुष्मान भारत पीएम-जय राज्य स्वास्थ्य योजनाओं के साथ मिलकर 14 करोड़ से अधिक परिवारों (70 करोड़ व्यक्तियों) के लाभार्थी आधार को कवर कर रहा है। अभी तक इस योजना के तहत लगभग 18 करोड़ व्यक्तियों की पहचान कर उनका आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। वैश्विक महामारी के बीच महज 3.6 वर्षों के अपने छोटे से क्रियान्वयन काल में एबी पीएम-जय ने अस्पताल-भर्ती के साथ लगभग 3.28 करोड़ उपचार प्रदान किया है, जिसपर उपचार खर्च 37,600 करोड़ से ज्यादा का रहा है।
वर्तमान में जिस प्रकार से आयुष्मान भारत पीएम-जय अपनी उड़ान भर रहा है, यह माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण और कैबिनेट द्वारा संकल्पित बहुमुखी नीतिगत ढांचे का परिणाम है। आयुष्मान भारत पीएम-जय के पीछे के मार्गदर्शक सिद्धांतों को स्पष्ट करने वाले प्रमुख बिन्दुओं को निम्न रूपों में समझा जा सकता है:

व्यापक स्वास्थ्य लाभ पैकेज
एबी पीएम-जय की जब प्रारंभ हुआ था तब 1,393 उपचार पैकेज था लेकिन अब इसका विस्तार 1670 उपचार पैकेजों तक किया जा चुका है। इन पैकेजों में ऑन्कोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, कार्डियोवस्कुलर सर्जरी आदि जैसी विभिन्न चिकित्सा विशेषताओं के उपचार के लिए 5 लाख रुपये तक प्रति लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष कवर प्रदान किया जाता है। अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्चों का भी ख्याल इन पैकेजों में रखा गया है, इतना ही नहीं पोर्टिबिलीटी फीचर के माध्यम से देश के दूर-दराज के लाभार्थी भी देश के किसी भी कोने में जाकर आयुष्मान सूचीबद्ध अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य देखभाल ले सकते हैं।

स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अभिसरण और एकीकरण
एबी पीएम-जय के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को उनके क्रियान्वयन के तरीके, लाभार्थी डेटाबेस को चुनने और अस्पतालों का नेटवर्क बनाने में काफी लचीलापन प्रदान किया गया था। इसके अलावा, एनएचए ने मौजूदा राज्य आधारित योजनाओं के साथ भी तत्परता-पूर्वक अभिसरण किया। वर्तमान में, एबी पीएम-जय को 25 से अधिक राज्य-विशिष्ट स्वास्थ्य योजनाओं के साथ मिलकर लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त, देश भर के 600 से अधिक जिलों में जिला क्रियान्वयन इकाइयां (डीआईयू) स्थापित की गई हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एबी पीएम-जय की प्रशासनिक पहुँच लाभार्थी के घर तक हो सके।

स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में समानता सुनिश्चित करना
सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना डेटाबेस के तहत कवर किए गए समाज के हाशिए के वर्गों के लिए योजना के लाभों का विस्तार करने हेतु नए सिरे से प्रोत्साहन दिया गया है। इसी तरह, एबी पीएम-जय ने लिंग-विशिष्ट समानता सुनिश्चित करने के लिए एक प्रबुद्ध दृष्टिकोण अपनाया है। पूर्ववर्ती आरएसबीवाई योजना में परिवार के  सदस्यों के ऊपरी सीमा पर कैप था, जिसके कारण घर के औरतों का उपचार नहीं हो पाता था। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए एबी पीएम-जय परिवार के सदस्यों की संख्या को कैप नहीं किया गया है। जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। एनएचए आईटी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके बनाए गए आयुष्मान कार्डों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 50त्न और अधिकृत अस्पताल में भर्ती होने वालों में 47त्न है।

मजबूत, विस्तृत और अंतर-संचालित प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म
पहले की योजनाओं को लागू करने में यह देखने को मिला था कि आइटी सिस्टम की एकरूपता नहीं होने के कारण वितरण प्रभावित होता था। इस समस्या को दूर करने के लिए एबी पीएम-जय के तहत, लाभार्थी की पहचान, लेन-देन प्रबंधन और अस्पताल के पैनल में सहायता के लिए एक अत्यधिक बहुमुखी प्रौद्योगिकी मंच को विकसित किया गया है। अपनी नवीनता एवं परिवर्तनात्मकता के कारण सम्मानित हो चुकी यह आईटी प्लेटफॉर्म अब 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सक्रिय है। इससे एनएच-एसएचए स्तर पर साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और जरूरी सुधार में सहायता मिलती रही है।

सार्वजनिक और निजी भागीदारी
आयुष्मान भारत पीएम-जय के तहत योजना के लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है। निजी क्षेत्र की भागीदारी ने योजना के लाभार्थियों के लिए इलाज की तलाश करने के रास्ते बढ़ा दिए हैं और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र में तृतीयक देखभाल सुविधाओं पर बोझ कम कर दिया है। एबी पीएम-जय के तहत, यह सुनिश्चित किया गया था कि सार्वजनिक अस्पतालों को उनकी सेवाओं के लिए समान रूप से और निजी अस्पतालों के समान दरों पर प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसने सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों को ‘अनटाइड फंड’ का एक पुल बनाने में भी मदद की है, जिसे बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों में स्थायी रूप से निवेश किया जा सकता है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अस्पतालों की पूरक भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण रही है कि योजना का क्रियान्वयन निर्बाध रूप से आगे बढ़े।

आपके द्वार आयुष्मान
एनएचए का कार्यभार संभालने के बाद मैंने जिन प्रमुख गतिविधियों को हरी झंडी दिखाई, उनमें से एक  है आपके द्वार आयुष्मान। आपके द्वार आयुष्मान के तहत, फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स, ग्राम पंचायत अधिकारियों और गांव-आधारित डिजिटल उद्यमियों के एक जमीनी नेटवर्क का उपयोग समुदायों में लाभार्थियों तक घर-घर पहुंचकर आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए किया गया था। दिहाड़ी मजदूरों के लिए विशेष रात्रि शिविर लगाए गए। इन प्रयासों का का ही नतीजा है कि जनवरी 2021 से 4.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्डों के निर्माण हुआ, एनएचए आईटी सिस्टम द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्डों में 55त्न की वृद्धि हुई। एनएचए नए जोश के साथ आपके द्वार आयुष्मान कार्ड ड्राइव को पुन: लॉन्च करने जा रहा है। इस बार हम असम, बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
अंत में, मैं एबी पीएम-जय को सफलता के सोपान पर पहुंचाने में अथक परिश्रम करने के लिए एनएचए, एसएचए, डीआईयू, क्रियान्वयन सहायता एजेंसियों, प्रधान मंत्री आरोग्य मित्र, फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स, आयुष्मान कार्ड बनाने वाली एजेंसिया जैसे सीएससी /यूटीआईआईटीएसएल से मिलकर बने पूरे आयुष्मान भारत पीएम-जय इकोसिस्टम को भी इसका श्रेय देना चाहूंगा। हालांकि, इस योजना को अपनी पूरी क्षमता का दोहन करने में मदद करने के लिए आगे अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
(लेखक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण हैं)

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