Home उत्तराखंड सरकारी योजनाओं के लिए मंजूर की गई 872 करोड़ की राशि लापता

सरकारी योजनाओं के लिए मंजूर की गई 872 करोड़ की राशि लापता

देहरादून। उत्तराखंड राज्‍य  के सरकारी विभागों ने विभिन्न  सरकारी योजनाओं के लिए मंजूर की गई 872 करोड़ की राशि कहां खर्च की, इसका अता-पता नहीं है। विभागों की ओर से इस राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही प्रस्तुत नहीं किया गया। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बुधवार को विधानसभा के पटल पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की वित्त लेखों और विनियोग लेखों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में राज्य के बजट प्रबंधन पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। इसके साथ ही राज्य के सरकारी विभागों द्वारा विकास योजनाओं के   नाम पर खर्च की गई धनराशि के उपयोग के तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं।

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2020 -21के दौरान 764 करोड़ रुपये की योजनाओं से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार यह पहला मौका नहीं है जब सरकारी विभागों ने योजनाओं के बजट खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया। इससे पहले पिछले सालों में भी विभागों का काम करने का यही तरीका रहा है।
किस वर्ष में कितनी राशि के प्रमाण पत्र नहीं दिए : कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018- 19 के दौरान तीन योजनाओं के लिए दिए गए तीन करोड़ 46 लाख, वर्ष 2019-20 के दौरान आठ योजनाओं के लिए मंजूर 20 करोड़ 82 लाख और 2020-21 के लिए 108 योजनाओं के 846 करोड़ 37 लाख रुपये के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे कैग को यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इस धनराशि का सही उपयोग नहीं हो पाया है।

बिना मंजूरी खर्च कर दिए 42 हजार 873 करोड़
राज्य की सरकारों ने पिछले 17 सालों में विधानमंडल की मंजूरी के बिना 42 हजार 873 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। विभिन्न अनुदानों और विनियोग के तहत खर्च की गई इस राशि को विधानसभा से मंजूर कराया जाना जरूरी था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कैग ने इसे संविधान के अनुच्छेद 204 और 205 का उल्लंघन माना है।
कैग ने कहा कि राज्य विधानमंडल के विधि द्वारा किए गए विनियोग के आवाला समेकित निधि से किसी राशि का संवितरण नहीं किया जा सकता। यह बजटीय और वित्तीय नियंत्रण की प्रणाली को प्रभावित करता है। और सार्वजनिक सांसाधनों के प्रबंधन में  वित्तीय अनुशासनहीनता को प्रोत्साहित करता है। कैग के अनुसार इस    राशि में से 4884 करोड़ की राशि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान संवितरण की गई।

पंचायती राज में 650 करोड़ का हिसाब नहीं
कैग की रिपोर्ट के अनुसार पंचायती राज विभाग ने 650 करोड़ के खर्च के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए। शहरी विकास विभाग ने 195 करोड़ के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए। कैग ने इसे विभागों की गंभीर चूक मानते हुए इसे ठीक किए जाने की जरूरत बताई है।

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