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कोई भी नागरिक पीछे न छूटे: केंद्रीय बजट 2022-23 का मूल तत्व

ग्रामीण भारत में जीवन यापन में आसानी और आधारभूत अवसंरचना सुनिश्चित करने वाली सूक्ष्म कल्याण योजनाओं पर रणनीतिक रूप से विशेष ध्यान

डॉ. नागेंद्र नाथ सिन्हा
केंद्रीय बजट 2022-23 ने आर्थिक विकास के लिए पर्यावरण-अनुकूल और सतत दृष्टिकोण के साथ सूक्ष्म कल्याण पर ध्यान देते हुए वृहद् स्तर पर विकास हासिल करने की योजना बनाई है। भारत महामारी की चुनौतियों को पीछे छोडऩे और ग्रामीण भारत को तेजी से प्रगति के लिए तैयार करने की मजबूत स्थिति में है। 2022-23 का बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और ग्रामीण गरीबों को आजीविका प्रदान करने पर केंद्रित है। बजट में जलवायु के अनुकूल आवास, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ तथा डिजिटल इन्फो-वे के विस्तार पर ध्यान देने के साथ आजीविका, आधारभूत अवसंरचना तक पहुंच का आश्वासन दिया गया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका को सुदृढ़ करना
माननीय प्रधानमंत्री के विजन-ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन में आसानी और कोई भी नागरिक पीछे न छूटे- को साकार करने का केंद्र बिंदु गुणवत्तापूर्ण आजीविका को सर्व-सुलभ बनाना है। इस विजन के अनुरूप, केंद्रीय बजट 2022; भारतञ्च100 के लिए एक महत्वाकांक्षी आधारशिला रखता है, जिसमें अवसंरचना, डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे आर्थिक रूप से सक्षम बनाने वाले कारकों पर विशेष ध्यान दिया गया है- पूंजीगत व्यय के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जिसमें पीएम ग्राम सडक़ योजना के लिए पूरक आवंटन, सीमावर्ती क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम, किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवा का प्रसार, भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण आदि शामिल है। हर घर नल से जल, पीएम आवास योजना, हर घर उज्ज्वला, सौभाग्य आदि कार्यक्रमों ने ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने में मदद की है। 15वें वित्त आयोग के तहत उपलब्ध धनराशि के साथ, पंचायतों को पानी और स्वच्छता के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये और प्राथमिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 70,000 करोड़ रुपये का अनुदान – ये जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के अभूतपूर्व प्रयास हैं, जो ग्राम पंचायतों को लोगों तक सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ स्थानीय ‘सार्वजनिक सेवाओं’ के प्रदाता के रूप में सक्षम बनाएगा। नागरिक सेवाओं में हो रहे सुधार के साथ हम जल्द ही बेहतर सामाजिक सुविधाओं वाले गांवों को देखेंगे।

आवास, पाइप से जलापूर्ति, सडक़ और इन्फो-वे कनेक्टिविटी के सार्वभौमिक कवरेज का ग्रामीण नौकरियों पर गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आजीविका के अवसरों के तेजी से सृजन की योजना बनाई है और अगले 3 वर्षों में 2.5 करोड़ आजीविका के मौकों का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। 2022-23 में, ग्रामीण विकास विभाग को मनरेगा के मांग-आधारित पूरक आवंटन के साथ कुल 1,35,944 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं- पिछले 7 वर्षों में ग्रामीण अवसंरचना, सामाजिक सुरक्षा और आजीविका पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया गया है। मनरेगा ग्रामीण गरीब परिवारों की आय बढ़ाने के प्रयास में 100 दिनों तक का रोजगार प्रदान करता है और इसके तहत परिवारों की आजीविका गतिविधियों का समर्थन करने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक संपत्ति का निर्माण किया जाता है और डीएवाई-एनआरएलएम महिलाओं की आजीविका गतिविधियों के लिए सामुदायिक समूहों की ताकत का लाभ उठाता है, ताकि पारिवारिक आय में वृद्धि हो सके। एनएसएपी, डीडीजीकेयूवाई के साथ मंत्रालय 2030 के एसडीजी लक्ष्यों से बहुत पहले; विविध और लाभकारी स्व-रोजगार और कुशल मजदूरी आधारित रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देकर गरीबी को खत्म करने की सकारात्मक स्थिति में है।

महामारी के दौरान प्रशासन से संबंधित पंचायतों और महिला समूहों के बीच नए गठबंधन की शुरुआत हुई है, हमने पंचायत योजना के साथ आजीविका योजना प्रक्रिया के एकीकरण के लिए उपाय किए हैं, जिससे दोनों पारस्परिक रूप से मजबूत हुए हैं और सभी परिवारों को विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों को शामिल करना सुनिश्चित हुआ है। सरकार ने स्वयं सहायता समूहों के लिए जमानत-मुक्त ऋण को 10 लाख रुपये से दोगुना करके 20 लाख रुपये कर दिया है। अब सरकार यह सुनिश्चित करने की भी योजना बना रही है कि एसएचजी को बिना किसी परेशानी के अपनी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए ऐसे ऋण मिल सकें। डिजिटल लेन-देन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच में सुधार और वित्तीय समझ; इन प्रयासों के प्राथमिक लक्ष्य हैं।

कार्य का नया और अपेक्षाकृत अधिक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र होगा- उद्यम शुरू करने वाले एसएचजी सदस्यों के लिए ऋण जुटाना। वर्तमान में डीएवाई-एनआरएलएम स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों को- मिशन द्वारा महिला संस्थानों को दिए जाने वाले अनुदान एवं वित्तीय संस्थानों से ऋण के माध्यम से- पूंजी तक पहुंच प्रदान करता है। (2013-14 से लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का ऋण महिला एसएचजी द्वारा जुटाया गया है)। इसके अलावा, समन्वय के हाल के प्रयासों के परिणामस्वरूप मनरेगा से परिसंपत्ति समर्थन, डीडीजीकेयूवाई के तहत कौशल/प्रौद्योगिकी सहायता तथा पीएमएफएमई और विभिन्न सरकारी योजनाओं द्वारा समर्थन मिला है, जिससे स्वयं सहायता समूहों के सदस्य आजीविका को सुदृढ़ बनाने में सक्षम हुए हैं।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वाटरशेड विकास घटक और डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) भी एक बड़ा बदलाव लाएगा और ग्रामीण विकास में तेजी लाएगा, क्योंकि बजट 2022-23 में इन पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस योजना आवंटन में 64 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और मनरेगा के साथ समन्वय से जलवायु अनुकूल भविष्य की आजीविका सुनिश्चित होगी। डीआईएलआरएमपी डिजिटल इंडिया पहल का एक हिस्सा है। कार्यक्रम के प्रमुख घटकों में शामिल हैं: (द्ब) सभी मौजूदा भूमि रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण, (द्बद्ब) नक्शों का डिजिटलीकरण, (द्बद्बद्ब) सर्वेक्षण/पुन: सर्वेक्षण और बंदोबस्त के सभी रिकॉर्ड को अद्यतन करना एवं (द्ब1) पंजीकरण प्रक्रिया का कम्प्यूटरीकरण और भूमि रिकॉर्ड रख-रखाव प्रणाली के साथ इसका एकीकरण।

कोई भी नागरिक पीछे न छूटे और जीवन यापन में आसानी
सरकार ने रेखांकित किया है कि सामुदायिक संस्थानों के माध्यम से डीएवाई-एनआरएलएम के तहत संरचना-आधारित सामाजिक विकास प्रयासों को विस्तार देना बहुत महत्वपूर्ण है। एसएचजी महिलाओं के सन्दर्भ में जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता व लैंगिक मुद्दों से संबंधित सेवाओं के प्रति जागरूकता और पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि ये स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। मंत्रालय ने अब अतिरिक्त आजीविका गतिविधियों का समर्थन करने के लक्ष्य के लिए समग्र ग्रामीण विकास (डब्ल्यूआरडी) दृष्टिकोण अपनाया है। एकीकृत दृष्टिकोण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से आजीविका योजनाओं और कार्यक्रमों की आपूर्ति का एक सहज मिलान करना होगा- कौशल, परिसंपत्ति, सेवाएं और संसाधन; समुदाय की मांगों के साथ उपलब्ध किए जाने चाहिए। सीएसओ तथा स्टार्टअप सहित कृषि क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी और गठबंधन पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है, जो सार्वजनिक इकोसिस्टम से अलग उपभोक्ताओं/अंतिम उपयोगकर्ताओं, प्रौद्योगिकियों और अन्य सेवाओं के साथ मूल्य श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करते हैं। यह और भी महत्वपूर्ण है कि केंद्र व राज्य सरकारों के सभी स्तर और संबंधित क्षेत्र अपनी सफलता के एक महत्वपूर्ण मानदंड के रूप में अतिरिक्त आजीविका विकास को अपनाएं। इसके अलावा, उद्यम विकास के लिए बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली भी वित्तीय संसाधनों तक पहुंच को सक्षम बनाएं।

सौभाग्य से, गरीबी-उन्मूलन की व्यापक रणनीति के एक घटक के रूप में उपरोक्त अधिकांश संरचनायें तैयार है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के अन्य उपायों के साथ, सरकार; जन धन खाताधारकों और अन्य गरीबों तक अपनी पहुंच का विस्तार करके खाद्यान्न और नकद सहायता प्रदान करना जारी रखे हुए हैं। सरकार सामाजिक सुरक्षा पात्रता जैसे राशन कार्ड को प्रशासनिक सीमाओं के साथ-साथ राज्यों के बाहर भी उपयोगी बनाने के लिए कदम उठा रही है।
केंद्रीय बजट 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को सीधे समर्थन, पूंजीगत व्यय और सूक्ष्म स्तर के कल्याण कार्यक्रमों पर रणनीतिक ध्यान देने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने की एक विवेकपूर्ण रणनीति का पालन किया गया है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन यापन को आसान बनाएगा।
लेखक सचिव (ग्रामीण विकास), भारत सरकार हैं

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