उत्तराखंड

चार धाम यात्रा पर बहस : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा, ‘देश संविधान से चलता है, शास्त्रों से नहीं’

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एडवोकेट जनरल की एक दलील पर तर्क देते हुए साफ शब्दों में कहा, ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां कानून का शासन है, शास्त्रों का नहीं।’ मामला यह है कि उत्तराखंड सरकार चाहती थी कि 1 जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू हो, लेकिन हाई कोर्ट ने रोक लगा दी। अब हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार और हाई कोर्ट के बीच एक अनकहा टकराव चल रहा है। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि धार्मिक अनुष्ठानों की लाइवस्ट्रीमिंग की जाए। इस मामले में बुधवार को सरकार की तरफ से एजी ने जो दलील पेश की, उन्हें कोर्ट ने पूरी तरह खारिज कर दिया।

चार धामों के मंदिरों से लाइवस्ट्रीमिंग के मामले में सरकार के पक्ष पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने बुधवार को एजी एसएन बाबुलकर से कहा कि धार्मिक बहस में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि इसमें कानूनी आधार नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर आईटी एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान है, जिसके मुताबिक मंदिर से लाइवस्ट्रीमिंग की इजाजत नहीं दी सकती तो आप उसे ज़रूर पेश कर सकते हैं।’

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चार धाम यात्रा मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई तय की।

‘हमने शास्त्र पढ़े हैं, ऐसा कहीं नहीं लिखा’

चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि उन्होंने शास्त्र पढ़े हैं और कहीं नहीं लिखा है कि लाइवस्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती। साथ ही कोर्ट ने साफ तौर पर कहा, ‘इस देश पर नियंत्रण करने और मार्गदर्शन करने वाली किताब भारत का संविधान है। हम इसके परे नहीं जा सकते… चूंकि प्राचीन समय में तकनीक संबंधी कोई ज्ञान नहीं था इसलिए ऐसी कोई संभावना नहीं है कि शास्त्रों में यह लिखा हो कि तकनीक के सहारे लाइवस्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती।’

 

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