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बजट 2022-23: आत्मनिर्भर अष्टलक्ष्मी की ओर एक और मजबूत कदम

जी. किशन रेड्डी

भारत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। माननीय प्रधानमंत्री ने आजादी के 100वें वर्ष में देश के लिए एक विजऩ को स्थापित करने को लेकर अक्सर बातें की हैं। अमृतकाल के लिए योजना बनाने और जमीनी कार्य को, इस वर्ष से ही शुरू करने की आवश्यकता है और इसके लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में उपयुक्त आधारशिला रखी गयी है। बजट द्वारा वित्तीय और सामाजिक प्राथमिकताओं को व्यवस्थित तरीके से संतुलित किया गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था में नवाचार और तेज विकास की अपार संभावनाओं के लिए रूपरेखा तैयार की गयी है।
निस्संदेह, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के अष्टलक्ष्मी राज्यों को बजट 2022-23 से बहुत अधिक लाभ होगा। भारत के विकास इंजन और आसियान के प्रवेश द्वार के रूप में ये 8 राज्य, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के लिए सरकार के विकास-एजेंडे के केंद्र माने जाते हैं। यह बजट विकास-मार्ग को और उज्ज्वल करता है एवं इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए आवश्यक, सभी विकास संबंधी प्रयासों को और मजबूती प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर हमेशा विशेष ध्यान दिया है और इसके विकास के लिए 2014 से मिशन मोड में काम कर रहे हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास और समृद्धि की अभूतपूर्व रूपरेखा तैयार कर रहा है। विकास की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं – मणिपुर को 75 वर्षों के बाद पहली मालगाड़ी कनेक्टिविटी, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय को रेलवे से पहली बार जोडऩा, बोगीबील पुल का निर्माण- भारत का सबसे लंबा रेल-सडक़ पुल, मणिपुर में दुनिया का सबसे ऊंचा पुल घाट (जिरीबाम-इम्फाल), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पहली बार असम में पेट्रोरसायन परियोजना का उद्घाटन, सिक्किम का पहला हवाई अड्डा तथा अगरतला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नया टर्मिनल, जिसका उद्घाटन हाल ही में हुआ है।

बजट 2022-23 इस मिशन को और भी अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में विकास की गति को तेज करने के लिए इस सरकार ने 2014 से अब तक 2.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये हैं। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि पिछले साढ़े सात वर्षों के दौरान इस क्षेत्र के बजट में 110 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, यानी आवंटन 2014-15 के 36,108 करोड़ रुपये से बढक़र वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 76,040.07 करोड़ रुपये हो गया है। केवल एक वित्त वर्ष के लिए, यानी पिछले वर्ष के 68,020.24 करोड़ रुपये की तुलना में बजटीय आवंटन 12 प्रतिशत बढक़र 76,040.07 करोड़ रुपये हो गया है। अवसंरचना के अंतर को कम करने की गति को जारी रखते हुए, इस आवंटन का 15 प्रतिशत से अधिक राजमार्ग, सूचना प्रणाली, रेलवे और हवाई मार्ग (विकास का ‘हीरा’ (एचआईआरए) मॉडल, जिसका प्रधानमंत्री प्रबल समर्थन करते हैं) को दिया गया है। वास्तव में, सिर्फ रेल परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 2014 से 2021 के बीच उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में रेलवे द्वारा 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

हाल के बजट में 1,500 करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन के साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए एक नई योजना, प्रधानमंत्री की उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए विकास पहल (पीएम-डिवाइन), का शुभारंभ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की त्वरित विकास यात्रा में एक और ऐतिहासिक कदम है। यह योजना इस क्षेत्र के विकास के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। यह योजना इस क्षेत्र में तेजी से रोजगार सृजन और आजीविका संबंधी सहायता को बढ़ाते हुए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अंतर को कम करने के साथ-साथ विविध विकासात्मक जरूरतों को पूरा करेगी।
पीएम-डिवाइन के तहत ध्यानपूर्वक चयनित प्रारंभिक परियोजनाओं में शामिल मिजोरम का बैंबू लिंक रोड और वैज्ञानिक जैविक कृषि को प्रोत्साहन इस क्षेत्र की प्राकृतिक परिसंपत्तियों का उपयोग विकास के विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करते हैं। गुवाहाटी में उपलब्ध बच्चों एवं वयस्कों में हेमेटोलिम्फोइड कैंसर के प्रबंधन की समर्पित सेवाओं और नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (नेक्टर) की आजीविका के उन्नयन से संबंधित परियोजनाओं ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लोगों के बेहतर कल्याण की दिशा में एक लंबा सफर तय किया है।

इस बजट में हरित अर्थव्यवस्था के प्रोत्साहन से संबंधित बेहद जरूरी प्रावधानों के साथ–साथ  पर्वतमाला रोपवे विकास योजना, जोकि पर्यावरण और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की कठिन भौगोलिक स्थिति के बेहद अनुकूल है, में सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति लाने की अपार क्षमता है। यह उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने का एक और रास्ता है।
भारत की सुरक्षा और आर्थिक दृष्टि से उत्तर-पूर्वी राज्यों का व्यापक रणनीतिक महत्व है। कुल 5,182 किलोमीटर से अधिक लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे ये राज्य सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के केंद्रबिंदु हैं। इस बजट में घोषित वाइब्रेंट विलेज योजना उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सहित देश के विभिन्न इलाकों के सीमावर्ती गांवों तक विकास एवं कनेक्टिविटी पहुंचायेगी और देश की मुख्य भूमि के गांवों की तरह ही उनके विकास एवं प्रगति के लिए समान अवसर प्रदान करेगी।

आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों की अपार अंतर्निहित क्षमता और भारत की एक अरब से अधिक आबादी के उज्जवल भविष्य की विकास गाथा में उनकी अपरिहार्यता को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें सही ही भारत की ‘अष्टलक्ष्मी’ की उपाधि दी है। यह हम सभी के लिए इस प्रगतिशील एवं सकारात्मक बजट 2022-23 का अधिकतम लाभ उठाने और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास एवं समृद्धि की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने का समय है।
(लेखक केन्द्रीय उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री हैं और सिकंदराबाद संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।)

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