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Home धर्म

खुद पर रोशनी कम डालिए, तभी तो दूसरों को देख पाओगे

ritendra kumar by ritendra kumar
January 13, 2021
in धर्म, लाइफ स्टाइल
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वीरेन्द्र बहादुर सिंहवीरेन्द्र बहादुर सिंह


 

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लोहड़ी और मकर सक्रांति ये नए साल के ये पहले त्योहार हैं। पुराने साल के ज्यादातर त्योहार हम मना नहीं पाए। पुराने साल की कड़वी यादें सभी के पास हैं, पर अच्छी बात यह है कि हम सभी का वह खराब समय गुजर गया। नए साल की शुरुआत में हम सभी को अब पॉजिटिव बात ही करनी चाहिए। ऐसे में कवि दुष्यंत कुमार की एक कविता याद आ रही है।

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है,
एक चिनगारी कहीं से ढूंढ़ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है,
एक खंडहर के हृदय सी, एक जंगली फूल सी
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है,
एक चादर सांझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है,
निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से ओट में जाकर बतियाती तो है,
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश सी छाती तो है।

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नया सवेरा हमेशा नया उत्साह, उमंग लेकर आता है। हम सब इस उत्साह को कितना स्वीकार करते हैं, यह हम पर निर्भर करता है। अंधेरा कितना गहरा है, इसे कहने से क्या होने वाला है। सवाल मात्र एक दीप प्रकट करने का है। 2020 की यादें कितनी भी खराब हों, आखिर उन्हेें सीने पर ले कर हम कब तक घूमते रहेंगें? यह हमेें ही तय करना है। पूराने साल में अगर हम बीमार हुए हैं तो नए साल में हमें स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहना है। पुराने साल में धंधा-रोजगार ठप्प हो गया है तो नए साल मे प्लानिंग कर के अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना है।

इस नए साल मेें सभी को थोड़ी अधिक मेहनत करनी होगी। पुराने साल मे एक लंबी छुट्टी सभी ने काटी है। वह छुट्टी भले ही थोड़ी चिंता, थोड़ी मुश्किलों के साथ कटी हो, परंतु सभी को रोजाना की भागदौड़ से थोड़ा आराम तो मिला ही है। इस छुट्टी के दौरान सभी ने अपने पुराने शौक याद किए और परिवार के साथ बैठ कर समय बिताया। रोजाना की भागदौड़ और तनाव के साथ गुजरने वाली जिंदगी मेें सभी के लिए यह एक उपलब्धि रही?

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नया साल खास कर के विद्यार्थियों के लिए अधिक मेहनत करने वाला होगा। इस पूरे साल विद्यार्थी स्कूल कालेज से दूर रहे। स्वाभाविक है कि जिस तरह स्कूल मेे पढ़ाया जाता था, वह ऑनलाइन में संभव नहीं हो सकता। हर विद्यार्थी को नए साल मेें अध्ययन में अधिक समय देकर पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी। नए साल मेें उम्मीद कीजिए कि पहले की ही तरह समय से स्कूल-कालेज शुरू हों और विद्यार्थी एवं अध्यापक एक बार फिर से रूबरू हों।

नए साल में सबसे अच्छी बात यह है कि कोरोना की वैक्सीन आ गई है और जल्दी ही सब तक पहुंचने वाली है। यह भी चर्चा है कि वैक्सीन से एलर्जी हो सकती है। यह भी चर्चा है कि वैक्सीन के बाद कोरोना का नया स्ट्रेन आया है। क्या यह वैक्सीन उस पर असर करेगी? इस तरह की चर्चाएं और तमाम बातें हम सभी को परेशान कर रही हैं। हकीकत यह है कि हम किसी भी बात को लेकर जल्दी ही परेशान हो जाते हैं। क्योंकि हमारी मानसिकता बहुत कमजोर हो चुकी है।

ह्वाट्सएप का एक मैसेज हमारा बीपी बढ़ा देता है। अब हमें तय करना है कि हमारे माइंड का बैलेंस कितना है? जहां तक एलर्जी की बात है तो ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्हें इलायची से भी एलर्जी हो जाती है। इलायची चबाते ही उनके शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। तो क्या अब इलायची खराब है? कोरोना की वैक्सीन एक लाख लोगों का दी जाए और उनमें से 5-10 लोगों को एलर्जी या कोई तकलीफ हो जाए तो क्या कोरोना की वैक्सीन खराब हो गई?

वैज्ञानिकों ने मेहनत कर के कोरोना के छह तरह के म्युटेशन से लड़ सकें, इस तरह की वैक्सीन बनाई है। अब अगर कोरोना का सातवां, आठवां या नौवां स्ट्रेन आए, वैज्ञानिनक उसका मुकाबला करने वाली वैक्सीन बनाने में सक्षम हैं और बनाएंगे भी। इसलिए हमें चिंता का बोझ सिर पर ले कर घूमने की जरूरत नहीं है। सच तो यह है कि कोरोना की वैक्सीन के बिना भी हम जी रहे हैैं और हमें कोरोना नहीं हुआ। जिन्हें कोरोना हुआ, वे भी स्वस्थ होकर घूम रहे हैं। देश में अब कोरोना से मरने वालों की संख्या न के बराबर है। कोरोना से संक्रमित होकर लाखों लोग स्वस्थ हुए हैं, पर हम हैं कि उनकी बात नहीं करते। जो लोग मर गए हैं, उनकी बात करते हैेैं।

सन् 2020 पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि लोगों ने योग करने के लिए मैट खरीदने मे ज्यादा रुचि दिखाई है। ऑनलाइन शापिंग में बार्बेक्यू अधिक खरीदा गया है। कराऊ के म्यूजिक सिस्टम के तमाम आर्डर मिले हैं। लोगों ने जिम के साधनों की भी खरीदारी की है। घर के बागबगीचे की देखभाल करने के साधनों को खरीदा है। ऑनलाइन किताबें खरीदी हैं। हेल्थ के प्रति जागरुक हुए लोगों ने बीपी मॉनीटर्स, तौलने की मशीन जैसे उपकरण खरीदे हैं। यह खरीदारी बताती है कि सभी ने अप्रत्याशित मिले इस समय का उपयोग अच्छी तरह किया है।

सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले साल मुश्किल भरे अप्रत्याशित दिनों में तमाम लोगों ने मानवता की ज्योति जलााई है। जरूरतमंदों की मदद करने में सेवाभावी लोग पीछे नहीं रहे, तन, मन और धन से यथाशक्ति सभी ने जरूरतमंदों की मदद की है। यह बात साबित करती है कि मानवजीवन एकदूसरे के सहारे आगे बढ़ता रहता है। जब तक मानवता जीवित है, तब तक किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। मानवता का यह इतिहास बताता है कि न जाने कितनी महामारियां आईं और गईं, प्लेग, स्वाइन फ्रलू या कोरोना में एक बार मानवता फिर वापस आई है। सैकड़ों युद्धों का इस मानवजाति ने सामना किया है।

वर्ल्ड वार वन और वर्ल्ड वार टू से मनुष्य सहम जरूर उठा, पर निराश हो कर बैठा नहीं। हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए मनुष्य ने जम कर मेहनत की और प्रगति के शिखर सर किए हैं। नए साल में पुरानी कड़वी यादों को भूल कर हमें उसी उत्साह के साथ आगे बढ़ना है, टूटे चुके लोगों का आधार बनना है, बेसहारों का सहारा बनना है। निराश हुए लोगों में आशा का संचार करना है। बीते साल ने हमेें सिखाया है कि हमारे आसपास का एक भी व्यक्ति बीमार हुआ, तो वह हम सभी के लिए खतरा था। यही बात समझ कर अब हम सभी को सोचना है कि हमारे आसपास का कोई व्यक्ति दुखी होता है, तो एक न एक दिन वह दुख हमें भी स्पर्श करेगा। नए साल मेें हम अपने आसपास के लोगों को खुश रखेंगे तो नए साल की यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। नए साल मेें अपने पास थोड़ा फोकस कम करेंगे तो तो हम दूसरों को देख पाएंगे। इसलिए नए साल पर आने वाले इन त्योहारों को हम सब मिल कर मनाएं और पुरानी कड़वी यादों को भुलाने की कोशिश करें।

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से आशीष कुमार ध्यानी के नेतृत्व में और उनके मार्गदर्शक मंडल के सहयोग से उत्तर भारत लाइव की खबरें एसएमएस के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराई जाती थी। जिसमें राज्यों के साथ ही तात्कालिक समाचारों का समावेश ज्यादा किया जाता था।

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